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धरना-प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों पर सख्ती, अब नहीं मिलेगी लीव

शिक्षकों और गैर शिक्षकों को अब धरना-प्रदर्शन करने के लिए कैजुअल लीव (सीएल) नहीं मिलेगी। उच्च शिक्षा निदेशालय ने 27 मई को शिक्षकों द्वारा किए गए विधानसभा के घेराव के बाद सख्ती बरतते हुए सभी स्कूल प्रिंसिपलों को निर्देश जारी करते हुए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के लिए शिक्षकों को कैजुअल लीव देने से इंकार कर दिया है।
वीरवार को शिक्षा निदेशक डॉ. बीएल बिंटा की ओर से जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि अगर शिक्षकों या गैर शिक्षकों ने अन्य कार्यों के लिए भी कैजुअल लीव लेनी है तो उस विशेष परिस्थिति का उल्लेख करना होगा। अगर बहानेबाजी के कारण लिखकर कोई शिक्षक छुट्टी मांगता है तो उसे कैजुअल लीव न दी जाए।

इसके अलावा अगर किसी शिक्षक ने अपने कार्य क्षेत्र से आठ किलोमीटर दूर जाना है तो उसे पहले स्टेशन लीव की अनुमति लेनी होगी। आठ किलोमीटर दूर जाने के कारण बताने होंगे। 27 मई को राजकीय अध्यापक संघ के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने विधानसभा का घेराव कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस दौरान प्रदेश के कई स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हुई थी।

अब एक महीने बाद जागते हुए निदेशालय ने शिक्षकों पर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। सरकार या निदेशालय का विरोध करने के लोकतांत्रिक अधिकार पर शिकंजा कसते हुए निदेशक ने कैजुअल लीव देने पर कई शर्तें लगा दी हैं। अब शिक्षकों को छुट्टी लेने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। निदेशालय ने स्कूल प्रिंसिपलों को बिना स्पष्ट कारण बताए किसी भी शिक्षक और गैर शिक्षक की कैजुअल लीव को मंजूरी नहीं करने को कहा है।

निदेशालय की तानाशाही मंजूर नहीं : वीरेंद्र
राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि निदेशालय स्पष्ट करे कि अगर सरकार या विभाग के खिलाफ विरोध जताना है तो शिक्षक क्या करें? उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले भी निदेशालय ने शिक्षकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने का प्रयास किया।

27 मई को छुट्टी पर रहे शिक्षकों का रिकार्ड तलब किया गया, लेकिन इस बाबत अभी तक किया कुछ भी नहीं। अब दोबारा से एक नया गैर जिम्मेदाराना आदेश जारी कर शिक्षकों को प्रताड़ित करने का प्रयास किया या है। शिक्षक संघ इसका विरोध करता है। बीते दिनों अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा के साथ हुई बैठक में जिन मांगों को लेकर सहमति बनी है, उन पर अगर जल्द ही अमल नहीं हुआ तो संघ दोबारा से उग्र आंदोलन करने को विवश होगा।

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