हिमाचल में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में फेरबदल के कारण 2010 से
संघर्षरत जेबीटी प्रशिक्षितों के लिए राहत भरा फैसला आया है कि अब उनकी
तैनाती के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) की मेरिट को आधार नहीं बनाया
जाएगा।
जेबीटी के नए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में 50 फीसद बैच व 50 फीसद कमीशन के माध्यम से भर्ती का फैसला लिया गया है। इससे प्रदेश में अब जेबीटी की भर्ती बैच व कमीशन से होने से रास्ता साफ हो गया है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में संशोधित भर्ती एवं पदोन्नति नियम (आरएंडपी) को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। बेशक यह फैसला प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद ही लिया गया हो, लेकिन इससे इस वर्ग में उम्मीद की किरण जगी है। जेबीटी की भर्ती के लिए 2009 से पहले व्यवस्था थी कि प्रशिक्षण पूरा होने के तुरंत बाद उन्हें नौकरी मिल जाती थी, लेकिन 2010 से भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में परिवर्तन करते हुए अध्यापक पात्रता परीक्षा को ही आधार बनाया गया था। जेबीटी प्रशिक्षितों ने आरएंडपी नियमों को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने मामले के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल को निर्देश दिए थे। प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 30 अगस्त 2017 को टेट मेरिट को निरस्त कर दिया था। उसके बाद विभाग द्वारा संशोधित आरएंडपी नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो अब पूरी हुई है। जेबीटी के नए आरएंडपी में 50 फीसद बैच व 50 फीसद कमीशन के माध्यम से भर्ती करवाने का प्रावधान किया गया है। चूंकि हिमाचल में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के कारण लंबे समय से जेबीटी की भर्ती में भी बिलंब हो रहा था लेकिन अब इस फैसले से उन स्कूलों के बच्चों को भी राहत मिलेगी जहां तीन-तीन कक्षाएं एक-एक शिक्षक के सहारे चल रही हैं। उधर, जेबीटी बेरोजगार संघ ने भी शिक्षा विभाग के निर्णय का स्वागत किया है। किसी भी विभाग को भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन करने का अधिकार तो प्राप्त है लेकिन इस संबंध में तय करना भी जरूरी हो जाता है कि इस संशोधन का भविष्य पर क्या असर पड़ेगा। जेबीटी के संबंध में ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद नियमों में बदलाव करने के लिए मजबूर होना बताता है कि इसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं होगा। अब जरूरत है इस फैसले को जल्द लागू करने की ताकि कोई स्कूल अध्यापकों के बिना न रहे।
जेबीटी के नए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में 50 फीसद बैच व 50 फीसद कमीशन के माध्यम से भर्ती का फैसला लिया गया है। इससे प्रदेश में अब जेबीटी की भर्ती बैच व कमीशन से होने से रास्ता साफ हो गया है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में संशोधित भर्ती एवं पदोन्नति नियम (आरएंडपी) को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। बेशक यह फैसला प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद ही लिया गया हो, लेकिन इससे इस वर्ग में उम्मीद की किरण जगी है। जेबीटी की भर्ती के लिए 2009 से पहले व्यवस्था थी कि प्रशिक्षण पूरा होने के तुरंत बाद उन्हें नौकरी मिल जाती थी, लेकिन 2010 से भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में परिवर्तन करते हुए अध्यापक पात्रता परीक्षा को ही आधार बनाया गया था। जेबीटी प्रशिक्षितों ने आरएंडपी नियमों को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने मामले के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल को निर्देश दिए थे। प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 30 अगस्त 2017 को टेट मेरिट को निरस्त कर दिया था। उसके बाद विभाग द्वारा संशोधित आरएंडपी नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो अब पूरी हुई है। जेबीटी के नए आरएंडपी में 50 फीसद बैच व 50 फीसद कमीशन के माध्यम से भर्ती करवाने का प्रावधान किया गया है। चूंकि हिमाचल में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के कारण लंबे समय से जेबीटी की भर्ती में भी बिलंब हो रहा था लेकिन अब इस फैसले से उन स्कूलों के बच्चों को भी राहत मिलेगी जहां तीन-तीन कक्षाएं एक-एक शिक्षक के सहारे चल रही हैं। उधर, जेबीटी बेरोजगार संघ ने भी शिक्षा विभाग के निर्णय का स्वागत किया है। किसी भी विभाग को भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन करने का अधिकार तो प्राप्त है लेकिन इस संबंध में तय करना भी जरूरी हो जाता है कि इस संशोधन का भविष्य पर क्या असर पड़ेगा। जेबीटी के संबंध में ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद नियमों में बदलाव करने के लिए मजबूर होना बताता है कि इसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं होगा। अब जरूरत है इस फैसले को जल्द लागू करने की ताकि कोई स्कूल अध्यापकों के बिना न रहे।