शिमला: उच्च शिक्षा विभाग ने जिलों से आए पैंशन के 
सैंकड़ों मामले रद्द किए हैं। विभाग के मुताबिक जिलों से पैंशन संबंधी 
मामलों की आधी अधूरी जानकारी दी जा रही थी। न तो इस संबंध में फार्म सही 
तौर भर कर दिए जा रहें हैं और न ही इन फार्म के साथ लगने वाले प्रमाण पत्र 
निदेशालय को भेजे जा रहे हैं। 
इसके चलते विभाग ने ऐसे सैंकड़ों मामले रद्द कर जिलों को वापस भेजे हैं। विभाग ने इसके लिए उप निदेशकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की है और उन्हें इन मामलों को दुरुस्त कर दोबारा विभाग को भेजने को कहा है। बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया में शिक्षा विभाग में सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों व गैर-शिक्षक कर्मचारियों की पैंशन लटक रही है।
उपनिदेशकों की बनती है जिम्मेदारी
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डा. बी.एल. विंटा ने बताया कि ऐसे सैंकड़ों मामले जिला को वापस भेजे गए हैं। उनका कहना है कि ये जिम्मेदारी जिला उपनिदेशकों की बनती है लेकिन वे इन मामलों को नजरअंदाज कर रहे हैं। विभाग ने इस दौरान स्पष्ट किया है कि यदि जिलों से भविष्य में दोबारा ऐसे आधे-अधूरे मामले निदेशालय को भेजे जाते हैं तो इसके लिए उपनिदेशक जिम्मेदार होंगे।
6 महीने पहले भेजें पैंशन के मामले
शिक्षा विभाग ने जिलों को निर्देश जारी कर उन्हें पैंशन के मामलों को 6 महीने पहले निदेशालय को भेजने को कहा है ताकि दस्तावेजों को चैक कर इन्हें ए.जी. कार्यालय को समय पर भेजा जा सके, ऐसे में कर्मचारियों को पैंशन के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा, उन्हें समय पर पैंशन मिल सकेगी।
सेवानिवृत्ति के बाद भेजे जा रहे मामले
बता दें कि वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को उक्त मामलों को 30 महीने पहले ए.जी. कार्यालय को भेजने क ो कहा है ताकि सेवानिवृत्त होने तक कर्मचारियों के पैंशन मामले सैटल हो सकें लेकिन पाया गया है कि सेवानिवृत्त होने के बाद या इसके कुछ दिन पूर्व ही ये मामले ए.जी. को भेजे जा रहे हैं, जिस पर ए.जी. कार्यालय सवाल उठा चुका है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग ने सभी उपनिदेशकों को पैंशन के मामले समय पर ए.जी. कार्यालय भेजने के निर्देश जारी किए हैं।
इसके चलते विभाग ने ऐसे सैंकड़ों मामले रद्द कर जिलों को वापस भेजे हैं। विभाग ने इसके लिए उप निदेशकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की है और उन्हें इन मामलों को दुरुस्त कर दोबारा विभाग को भेजने को कहा है। बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया में शिक्षा विभाग में सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों व गैर-शिक्षक कर्मचारियों की पैंशन लटक रही है।
उपनिदेशकों की बनती है जिम्मेदारी
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डा. बी.एल. विंटा ने बताया कि ऐसे सैंकड़ों मामले जिला को वापस भेजे गए हैं। उनका कहना है कि ये जिम्मेदारी जिला उपनिदेशकों की बनती है लेकिन वे इन मामलों को नजरअंदाज कर रहे हैं। विभाग ने इस दौरान स्पष्ट किया है कि यदि जिलों से भविष्य में दोबारा ऐसे आधे-अधूरे मामले निदेशालय को भेजे जाते हैं तो इसके लिए उपनिदेशक जिम्मेदार होंगे।
6 महीने पहले भेजें पैंशन के मामले
शिक्षा विभाग ने जिलों को निर्देश जारी कर उन्हें पैंशन के मामलों को 6 महीने पहले निदेशालय को भेजने को कहा है ताकि दस्तावेजों को चैक कर इन्हें ए.जी. कार्यालय को समय पर भेजा जा सके, ऐसे में कर्मचारियों को पैंशन के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा, उन्हें समय पर पैंशन मिल सकेगी।
सेवानिवृत्ति के बाद भेजे जा रहे मामले
बता दें कि वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को उक्त मामलों को 30 महीने पहले ए.जी. कार्यालय को भेजने क ो कहा है ताकि सेवानिवृत्त होने तक कर्मचारियों के पैंशन मामले सैटल हो सकें लेकिन पाया गया है कि सेवानिवृत्त होने के बाद या इसके कुछ दिन पूर्व ही ये मामले ए.जी. को भेजे जा रहे हैं, जिस पर ए.जी. कार्यालय सवाल उठा चुका है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग ने सभी उपनिदेशकों को पैंशन के मामले समय पर ए.जी. कार्यालय भेजने के निर्देश जारी किए हैं।