शिमला.हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी के खिलाफ राज्य सरकार ने जांच बिठा दी है। सहायक आचार्य भर्ती में पैसों के लेनदेन आैर मेरिट को इग्नोर कर भतियां करने के आरोप है।
पूर्व वीसी पर आरोप है कि सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए 15 लाख रुपए तक की मांग की थी। दिल्ली से आए पत्र के बाद राज्य सरकार ने इस मामले पर जांच बिठाई है। ज्वाइंट सेक्रेटरी शिक्षा नरेश ठाकुर को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने एचपीयू जाकर भर्ती से जुड़े रिकाॅर्ड को कब्जे में ले लिया है। आने वाले दिनों में बड़े खुलासे हो सकते हैं।
एचपीयू के पूर्व वीसी एडीएन वाजपेयी पर सहायक आचार्य भर्ती में अनियमितता बरतने के आरोप लगे थे। महिला के नाम से एक पत्र मीडिया में जारी हुआ था। इसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व वीसी ने उन्हें नौकरी देने का प्रलोभन देकर अपने घर बुलाया था। इस पत्र में जिस महिला का नाम लिखा था उस नाम की कोई महिला अभ्यर्थी थी ही नहीं। वीसी ने भी इन आरोपों को नकारा था। एचपीयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्षों ने पूर्व कुलपति पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एचपीयू को 5 साल में 2 करोड़ 7 लाख का नुकसान पहुंचाया। आरटीआई में ली गई जानकारी के बाद ये आरोप लगाए थे।
क्यों हो रही है जांच
- सहायकआचार्य में रिजर्व ओबीसी कैटेगरी के पद के लिए एक ही व्यक्ति को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।
- सहायक आचार्य भर्ती में नौकरी देने के नाम पर 15-15 लाख रुपए लेने का आरोप शिकायत में हैं।
- एचपीयू में एक शिक्षक की नियुक्ति ऐसी हुई जिसका तो नेट क्लियर था और ही पीएचडी। जबकि ये दोनों ही डिग्रियां नियुक्ति के लिए जरूरी है।
- अर्थशास्त्र विषय में हुई नियुक्ति के लिए 5 साल एक्सपीरियंस की शर्त लगाई गई। इसके लिए 14 ने अप्लाई किया था जिनमें से केवल 2 ही पात्र थे। इंटरव्यू में एक ही आया और उसका सलेक्शन हो गया।
- हिंदी विभाग में हुई भर्ती को लेकर काफी बवाल हुआ। इसमें 80 में से जिसके 63 अंक थे वह बाहर हो गया था और उससे कम अंक वाले को नियुक्ति दे दी गई थी।
- मैथ विषय में हुए इंटरव्यू में एक अभ्यर्थी के 64 अंक थे लेकिन उसे इंटरव्यू में 2-2 ही अंक दिए। जबकि वह पहले अंकों में टॉपर थी।
- वर्ष 2012 से लेकर 2017 तक एचपीयू का केस चला रहा। इसके मुताबिक असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेट, सेट और पीएचडी की डिग्री होना जरूरी है। या फिर पीएचडी 2009 के नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।
पूर्व वीसी पर आरोप है कि सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए 15 लाख रुपए तक की मांग की थी। दिल्ली से आए पत्र के बाद राज्य सरकार ने इस मामले पर जांच बिठाई है। ज्वाइंट सेक्रेटरी शिक्षा नरेश ठाकुर को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने एचपीयू जाकर भर्ती से जुड़े रिकाॅर्ड को कब्जे में ले लिया है। आने वाले दिनों में बड़े खुलासे हो सकते हैं।
एचपीयू के पूर्व वीसी एडीएन वाजपेयी पर सहायक आचार्य भर्ती में अनियमितता बरतने के आरोप लगे थे। महिला के नाम से एक पत्र मीडिया में जारी हुआ था। इसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व वीसी ने उन्हें नौकरी देने का प्रलोभन देकर अपने घर बुलाया था। इस पत्र में जिस महिला का नाम लिखा था उस नाम की कोई महिला अभ्यर्थी थी ही नहीं। वीसी ने भी इन आरोपों को नकारा था। एचपीयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्षों ने पूर्व कुलपति पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एचपीयू को 5 साल में 2 करोड़ 7 लाख का नुकसान पहुंचाया। आरटीआई में ली गई जानकारी के बाद ये आरोप लगाए थे।
क्यों हो रही है जांच
- सहायकआचार्य में रिजर्व ओबीसी कैटेगरी के पद के लिए एक ही व्यक्ति को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।
- सहायक आचार्य भर्ती में नौकरी देने के नाम पर 15-15 लाख रुपए लेने का आरोप शिकायत में हैं।
- एचपीयू में एक शिक्षक की नियुक्ति ऐसी हुई जिसका तो नेट क्लियर था और ही पीएचडी। जबकि ये दोनों ही डिग्रियां नियुक्ति के लिए जरूरी है।
- अर्थशास्त्र विषय में हुई नियुक्ति के लिए 5 साल एक्सपीरियंस की शर्त लगाई गई। इसके लिए 14 ने अप्लाई किया था जिनमें से केवल 2 ही पात्र थे। इंटरव्यू में एक ही आया और उसका सलेक्शन हो गया।
- हिंदी विभाग में हुई भर्ती को लेकर काफी बवाल हुआ। इसमें 80 में से जिसके 63 अंक थे वह बाहर हो गया था और उससे कम अंक वाले को नियुक्ति दे दी गई थी।
- मैथ विषय में हुए इंटरव्यू में एक अभ्यर्थी के 64 अंक थे लेकिन उसे इंटरव्यू में 2-2 ही अंक दिए। जबकि वह पहले अंकों में टॉपर थी।
- वर्ष 2012 से लेकर 2017 तक एचपीयू का केस चला रहा। इसके मुताबिक असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेट, सेट और पीएचडी की डिग्री होना जरूरी है। या फिर पीएचडी 2009 के नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।