मंडी: एक ओर प्रदेश
सरकार शिक्षकों पर गुणात्मक शिक्षा मुहैया करवाने और बेहतर परीक्षा परिणाम
को लेकर दबाव बनाती है लेकिन दूसरी ओर परीक्षा के समय भी शिक्षकों को
बी.पी.एल. सर्वे के कार्य के लिए भेजा जा रहा है। प्रशासन के इस कदम से
नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
जानकारी के अनुसार शिक्षा
खंड बल्ह के 40 प्राथमिक शिक्षकों को प्रशासन द्वारा बी.पी.एल. सर्वे हेतु
पर्यवेक्षक की ड्यूटी लगाई गई है। प्रशासन के इस कदम से अभिभावकों सहित
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने कड़ा संज्ञान लिया है और मांग उठाई है कि
वाॢषक परीक्षा के समय शिक्षकों की इस तरह की ड्यूटी न लगाई जाए ताकि
नौनिहालों की पढ़ाई सुचारू ढंग से चलती रहे।संघ का कहना है कि प्रशासन द्वारा शिक्षकों को वाॢषक परीक्षाओं के नजदीक होने पर भी बी.पी.एल. सर्वे सहित अन्य कार्य में लगाना सरासर नौनिहालों के साथ खिलवाड़ है। संघ का कहना है कि प्रशासन द्वारा 3 से 11 मार्च तक प्राथमिक शिक्षकों की ड्यूटी सर्वे करने के लिए लगाई है जिसके संबंध में प्रशासन द्वारा विभाग को समय रहते सूचित तक नहीं किया गया है। उधर, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रेम सिंह ठाकुर ने कहा कि बल्ह खंड के 40 प्राथमिक शिक्षकों को वार्षिक परीक्षाएं सिर पर होने के बावजूद बी.पी.एल. सर्वे पर लगाया गया है। प्रशासन के इस तरह के कदम से नौनिहालों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। प्रदेश सरकार व प्रशासन को चाहिए कि वार्षिक परीक्षा के नजदीक होने पर शिक्षकों की अन्य कार्य में ड्यूटी न लगाई जाए।
अन्य विभागों से लगाई जा सकती थी ड्यूटी
शिक्षकों के अलावा बी.पी.एल. सर्वे हेतु अन्य विभागों से भी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा सकती थी लेकिन सरकार व प्रशासन द्वारा शिक्षकों को ही इस तरह के कार्य के लिए लगाया जाता है जिससे नौनिहालों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती है।
12 मार्च से शुरू हैं वार्षिक परीक्षाएं
विभागीय जानकारी के अनुसार पहली से चौथी कक्षा तक के नौनिहालों की वाॢषक परीक्षाएं 12 मार्च से शुरू हो रही हैं लेकिन प्रशासन द्वारा शिक्षकों की ड्यूटी बी.पी.एल. सर्वे में लगाने से अब नौनिहालों की पढ़ाई भगवान भरोसे छोड़ दी गई है। संघ का कहना है कि बी.पी.एल. सर्वे के कार्य के लिए शिक्षकों की ड्यूटी वार्षिक परीक्षा के बाद भी लगाई जा सकती थी।
इन कारणों से आ रही इनरोलमैंट में कमी
प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों को शिक्षण के अलावा अन्य कार्य में व्यस्त रखा जाता है, जिसके चलते नौनिहालों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती है। इन कारणों से सरकारी स्कूलों में छात्रों की इनरोलमैंट में भारी गिरावट आ रही है और अभिभावक अपने बच्चों को भारी भरकम फीस की फिक्र न करते हुए निजी स्कूलों में दाखिल करवाने को विवश हो रहे हैं।