राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश में पीटीए, पैरा और पैट
के अच्छे दिन आने वाले हैं। इस अस्थायी शिक्षकों का 'वनवास' खत्म होगा।
राज्य सरकार इन्हें नियमितीकरण का तोहफा देने की तैयारी में हैं। इससे
10390 परिवारों को राहत मिलेगी। इस सिलसिले में शीतकालीन सत्र में विधेयक
लाया जाएगा। इसके प्रारूप को कैबिनेट बैठक में शामिल किया जाएगा। 20 नवंबर
की बैठक में इस पर चर्चा नहीं हो पाई थी।
अगली बैठक में इसे प्रमुखता से शामिल करने की तैयारी चल रही है। दो अदालतों के बीच लटका मामला पीटीए शिक्षकों का मामला राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीमकोर्ट के बीच झूलता रहा है। अनुबंध पर कार्यरत कुछ पीटीए शिक्षकों ने ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। अब सरकार कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए आगे बढ़ रही है। मुख्य याचिकाकर्ता ने शिक्षकों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट से याचिका वापस ले ली है। हाईकोर्ट से जीता था केस पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पीटीए शिक्षकों ने हाईकोर्ट से केस जीत लिया था। लेकिन पंकज कुमार ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने तब नियमितीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
इस कारण 6800 पीटीए शिक्षकों में से करीब डेढ़ हजार अनुबंध पर आने से भी वंचित रह गए। इससे एक ही केटेगरी में भी दो तरह की व्यवस्थाएं हो गई। इनकी नियुक्ति कांग्रेस के कार्यकाल में 2006-07 में हुई थी। 2003 से 2007 तक के कार्यकाल में ही पीटीए से पूर्व पैरा, पैट की भर्ती हुई थी। पैट की तादाद तो तीन हजार के आसपास हैं। नियमित होने से केवल 90 शिक्षक बचे हैं। मुख्यमंत्री का रवैया सकारात्मक अस्थायी शिक्षकों के प्रति मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का रुख बेहद सकारात्मक है। उनके निर्देश पर ही शिक्षा विभाग ने विधेयक का प्रारूप तैयार किया है। शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा भी चाहते हैं कि यह शिक्षक किसी तरह से सेटल हो जाएं। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज तो बजट सत्र में भी उन्हें नियमित करने का भरोसा दे चुके हैं।
अगली बैठक में इसे प्रमुखता से शामिल करने की तैयारी चल रही है। दो अदालतों के बीच लटका मामला पीटीए शिक्षकों का मामला राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीमकोर्ट के बीच झूलता रहा है। अनुबंध पर कार्यरत कुछ पीटीए शिक्षकों ने ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। अब सरकार कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए आगे बढ़ रही है। मुख्य याचिकाकर्ता ने शिक्षकों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट से याचिका वापस ले ली है। हाईकोर्ट से जीता था केस पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पीटीए शिक्षकों ने हाईकोर्ट से केस जीत लिया था। लेकिन पंकज कुमार ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने तब नियमितीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
इस कारण 6800 पीटीए शिक्षकों में से करीब डेढ़ हजार अनुबंध पर आने से भी वंचित रह गए। इससे एक ही केटेगरी में भी दो तरह की व्यवस्थाएं हो गई। इनकी नियुक्ति कांग्रेस के कार्यकाल में 2006-07 में हुई थी। 2003 से 2007 तक के कार्यकाल में ही पीटीए से पूर्व पैरा, पैट की भर्ती हुई थी। पैट की तादाद तो तीन हजार के आसपास हैं। नियमित होने से केवल 90 शिक्षक बचे हैं। मुख्यमंत्री का रवैया सकारात्मक अस्थायी शिक्षकों के प्रति मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का रुख बेहद सकारात्मक है। उनके निर्देश पर ही शिक्षा विभाग ने विधेयक का प्रारूप तैयार किया है। शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा भी चाहते हैं कि यह शिक्षक किसी तरह से सेटल हो जाएं। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज तो बजट सत्र में भी उन्हें नियमित करने का भरोसा दे चुके हैं।