- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: लोकसभा चुनाव 2019 : छात्र बोले, शिक्षा और रोजगार बने चुनावी मुद्दा लोकसभा चुनाव 2019 : छात्र बोले, शिक्षा और रोजगार बने चुनावी मुद्दा

लोकसभा चुनाव 2019 : छात्र बोले, शिक्षा और रोजगार बने चुनावी मुद्दा

चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है। राजनीतिक दल जोड़तोड़ में लगे हैं। लखनऊ भी मतदान के लिए तैयार है। जिला प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग तक लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच व्हाट्सएप संवाद किया।
‘हमारा सांसद कैसा हो, सांसद से क्या अपेक्षा होनी चाहिए,  चुनाव में छात्रों के मुद्दे’  विषय पर संवाद किया। छात्रों ने बेबाकी से अपनी राय रखी। छात्रों ने साफ कहा कि जाति, धर्म की राजनीति नहीं चाहिए। सिर्फ पढ़ा-लिखा ही नहीं, लोगों की संवेदनाओं, समस्याओं को संजीदगी से समझने और उचित मंच पर रखने वाला ही हमारा सांसद होना चाहिए।  ऐसा सांसद जो शिक्षा, रोजगार और युवाओं के सुंदर भविष्य का वादा कर सके, न कि चुनाव जीतने के बाद वादा तोड़े।
छात्रों के लिए जाति या धर्म चुनावी मुद्दा नहीं है। वह ऐसा सांसद चाहते हैं जो बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग को साथ लेकर चल सके।  जो मंदिर-मस्जिद से ज्यादा छात्रों के लिए अच्छी शिक्षा और रोजगार की बात करे। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के वाट्सएप संवाद में यह उभरकर सामने आया है। छात्रों ने कहा, ‘समय की मांग है कि युवाओं की सोच व सामर्थ्य का अधिकतम प्रयोग राजनीति में हो जिससे प्रतिभाओं का पलायन रोक कर उनका अधिकतम उपयोग देश के विकास में किया जाए।  सभी दलों को अपनी सोच बदलनी चाहिए और युवाओं को अधिकतम मौका देना चाहिए।’
20 हजार से ज्यादा कर रहे स्नातक : राजधानी में हर साल 20 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं स्नातक की पढ़ाई पूरी करके निकल रहे हैं। इनमें 60 प्रतिशत से ज्यादा नौकरी की तलाश शुरू करते हैं। इसमें से ज्यादातर दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े शहरों की ओर नौकरी के लिए रुख कर रहे हैं। इसके अलावा, नौकरी की तलाश में पूर्वांचल से लखनऊ आने वाले युवाओं की संख्या काफी ज्यादा हैं। इन्हें अच्छे अवसरों की जरूरत है।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं : छात्रों ने बताया कि रोजगार की कमी के चलते अब कॉलेज भी बंद हो रहे हैं। हालत इतनी खराब है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद 10-12 हजार रुपये की नौकरियां मिल रही हैं। एमबीए की पढ़ाई करके पांच-पांच हजार रुपये में मार्केटिंग जॉब कर रहे हैं।  ऐसे में मजबूरन छात्रों ने इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों की ओर रुख करना ही बंद कर दिया है। नतीजा, हर साल एकेटीयू से मान्यता प्राप्त निजी स्कूल दर्जनों की संख्या में बंद हो रहे हैं। युवाओं की मांग है कि राजनेता अपने अपने क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए पहल करें। इससे युवाओं को उनके गृह जनपद में ही रोजगार के अच्छे अवसर मिले सकेंगे।
लोक लुभावन वादे नहीं हकीकत का विकास 
छात्रों का कहना है कि राजनीति पार्टियों को अपने घोषणा पत्र पर ठीक से काम करने की जरूरत है। यहां देश की अर्थशास्त्र को मजबूती देने के बजाए लोक लुभावनें वादे किए जा रहे हैं। जरूरी है कि हकीकत में बुजुर्ग, युवा, बेरोजगारों और आधी आबादी के लिए काम करने वाला सांसद अगुवा होना चाहिए। छात्रों का कहना था कि उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध बजट एवं सुविधाओं में बढ़ोत्तरी किए जाने की जरूरी है। सरकार द्वारा रोजगार के साधनों में वृद्धि की जानी चाहिए। सांसद की विचारधारा  देशहित की हो। वह सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लेकर चलने की क्षमता रखता हो।  जाति, धर्म, मंदिर और मस्जिद के नाम पर बांटने वालों को किनारे किया जाए। केवल विकास के नाम पर वोट दिया जाए।
बोले शहर के युवा
रोजगार के लिए कारखाने लाए जाएं। सरकारी योजनाओं का लाभ ठीक से मिले। रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलें।   
मनीष पाण्डेय
सांसद प्रत्याशी पूर्णकालिक राजनेता हो।  स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय समस्याओं व मुद्दों की समझ रखता हो।
मुकेश
शिक्षा सरकार द्वारा संचालित हो। इसमें फीस वृद्धि पर लगाम लगेगी और हर वर्ग के बच्चों को पढ़ने और आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
  अफजल अहमद
समय की मांग है कि उम्र के साथ नेता राजनीति से सेवानिवृत्त हो जाएं। नई पीढ़ी के लिए राजनीति में आने का अवसर मिले।  
 आदित्य राय
सांसद वही हो जो क्षेत्र का मजबूती के साथ प्रतिनिधित्व कर सके। सांसद को विवेकशील, शिक्षित या अनुभवी होना आवश्यक है।
 रतन सिंह
कुशल व्यक्ति को चुनना हमारी जिम्मेदारी है।  वह  व्यक्ति अपने क्षेत्र की जनता की आवाज को राष्ट्रीय मंच पर उठाने के लिए सक्षम हो।
आदर्श
विकास की राजनीति करने वाला सांसद होना चाहिए। ईमानदार होना चाहिए। समाज के विषय में सोचने वाला सांसद बने।
वैभव

जरूरी है कि  सरकार हम युवाओं के लिए  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगार उपलब्ध कराए।
विशाल शुक्ला  
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