हिमाचल प्रदेश के 30 फीसदी से अधिक स्कूलों में बॉयोमीट्रिक मशीन लंबे समय से खराब पड़ी हैं। शिक्षा विभाग इन मशीनों को ठीक करने की ज़हमत नहीं उठा रहा है। हालांकि कई स्कूलों के मुखिया मशीनें ठीक करवाने के लिए कई बार विभाग को लिख चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार ने तीन-चार साल पहले राज्य के ज्यादातर हाई और सभी सेकेंडरी स्कूलों में बॉयोमीट्रिक मशीनें लगाई थीं। यह सभी शिक्षक और गैर शिक्षक स्टाफ को समय पर स्कूल आने और समय से पहले स्कूल से बंक न मारने से रोकने के लिए व्यवस्था की गई थी। बॉयोमीट्रिक मशीनों की खरीद पर विभाग ने कई लाख रुपए खर्च किए।
समय पर नहीं पहुंच रहा स्टाफ
अब यह मशीनें लंबे समय से खराब हैं और सफेद हाथी साबित हो रही हैं। इससे खासकर कई ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक और नॉन टीचिंग स्टाफ समय पर स्कूल नहीं पहुंच रहा और शाम को भी जल्द स्कूल से चला जाता है। बॉयोमीट्रिक मशीनों के चालू होने पर यह संभव नहीं है।
सूत्रों की मानें तो कई स्कूलों के प्रिंसिपल बार-बार शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर बॉयोमीट्रिक ठीक करने की मांग उठा रहे है। हालांकि एक बार शिक्षा निदेशक भी पत्र लिखकर विभाग को मशीनें ठीक करन के निर्देश दे चुके है, लेकिन राज्य के 30 फीसदी से अधिक स्कूलों में अभी भी बॉयोमीट्रिक मशीनें खराब पड़ी हैं।
अप्रैल में शुरू की बॉयोमीट्रिक हाजिरी
प्रदेश में कोरोना काल में दो साल तक बॉयोमीट्रिक मशीनों में हाजिरी बंद थी। सरकार ने इस साल अप्रैल महीने में ही बॉयोमीट्रिक अटेंडेंस दोबारा से शुरू करने के निर्देश दिए थे, उसके बाद से यह व्यवस्था दोबारा शुरू की गई।