साढे़ तेरह हजार अस्थाई शिक्षक स्कूलों में हैं तैनात
राज्यके सरकारी स्कूलों में साढ़े तेरह हजार के करीब शिक्षक अस्थाई तौर पर तैनात हैं। इनमें 6500 पीटीए हैं। हालांकि साढ़े तीन हजार से ज्यादा पीटीए को अनुबंध पर ला दिया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जो केस है उसके अनुसार इन्हें अस्थाई ही माना जाएगा। इसके अलावा 3408 पैट,2200 के करीब पैरा और 1600 के करीब ग्रामीण विद्या उपासक शिक्षक शामिल है।
भास्कर न्यूज | शिमला
राज्यके सरकारी स्कूलों में तैनात साढ़े तेरह हजार शिक्षकों को लेकर सुप्रीमकोर्ट से बड़ा फैसला आएगा। पीटीए, पैरा, पैट ग्रामीण विद्या उपासकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले की 22 नवंबर को सुनवाई होनी है। 9 दिसंबर 2014 को प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को चुनौती दी थी। 22 जनवरी 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। मामला सर्वोच्च न्यायालय में होने के चलते शिक्षकों के नियमिति करण अनुबंध पर लाने की प्रक्रिया पर राज्य सरकार ने रोक लगाई हुई है। शिक्षक पिछले काफी समय से राज्य सरकार से सशर्त नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं। मामला सुप्रीमकोर्ट में होने के चलते सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही है। सुप्रीमकोर्ट शिक्षकों के हक में फैसला सुनाता है तो इन शिक्षकों के नियमित होने का रास्ता साफ हो जाएगा। यदि इनके विरुद्ध फैसला आता है तो इन्हें नौकरी से हटाया जा सकता है। पीटीए शिक्षक संघ के अध्यक्ष विवेक मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया था। शिक्षकों को पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उनके हक में फैसला आएगा।
हाईकोर्टके फैसले के बाद इन्हें दिए थे लाभ
हाईकोर्टने 2014 में अस्थाई शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। फैसला आने के बाद राज्य सरकार 10 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके पैरा शिक्षकों को नियमित किया था। 7 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके पीटीए टीचरों को अनुबंध पर लाया था। पैट टीचरों की अभी ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें भी मुख्य धारा में लाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट का स्टे लगने के बाद यह सारी प्रक्रिया रोक दी गई है।
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राज्यके सरकारी स्कूलों में साढ़े तेरह हजार के करीब शिक्षक अस्थाई तौर पर तैनात हैं। इनमें 6500 पीटीए हैं। हालांकि साढ़े तीन हजार से ज्यादा पीटीए को अनुबंध पर ला दिया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जो केस है उसके अनुसार इन्हें अस्थाई ही माना जाएगा। इसके अलावा 3408 पैट,2200 के करीब पैरा और 1600 के करीब ग्रामीण विद्या उपासक शिक्षक शामिल है।
भास्कर न्यूज | शिमला
राज्यके सरकारी स्कूलों में तैनात साढ़े तेरह हजार शिक्षकों को लेकर सुप्रीमकोर्ट से बड़ा फैसला आएगा। पीटीए, पैरा, पैट ग्रामीण विद्या उपासकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले की 22 नवंबर को सुनवाई होनी है। 9 दिसंबर 2014 को प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को चुनौती दी थी। 22 जनवरी 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। मामला सर्वोच्च न्यायालय में होने के चलते शिक्षकों के नियमिति करण अनुबंध पर लाने की प्रक्रिया पर राज्य सरकार ने रोक लगाई हुई है। शिक्षक पिछले काफी समय से राज्य सरकार से सशर्त नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं। मामला सुप्रीमकोर्ट में होने के चलते सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही है। सुप्रीमकोर्ट शिक्षकों के हक में फैसला सुनाता है तो इन शिक्षकों के नियमित होने का रास्ता साफ हो जाएगा। यदि इनके विरुद्ध फैसला आता है तो इन्हें नौकरी से हटाया जा सकता है। पीटीए शिक्षक संघ के अध्यक्ष विवेक मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया था। शिक्षकों को पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उनके हक में फैसला आएगा।
हाईकोर्टके फैसले के बाद इन्हें दिए थे लाभ
हाईकोर्टने 2014 में अस्थाई शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। फैसला आने के बाद राज्य सरकार 10 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके पैरा शिक्षकों को नियमित किया था। 7 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके पीटीए टीचरों को अनुबंध पर लाया था। पैट टीचरों की अभी ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें भी मुख्य धारा में लाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट का स्टे लगने के बाद यह सारी प्रक्रिया रोक दी गई है।
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