शिमला:शिक्षा
विभाग द्वारा पी.जी.टी. की अलग वरीयता सूची न बनाने को लेकर प्रदेश
स्नातकोत्तर अध्यापक संघ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। संघ के
पदाधिकारियों का कहना है कि बार-बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से
पी.जी.टी. के लिए अलग वरीयता सूची बनाने का आग्रह किया गया है
लेकिन विभाग
ने प्रवक्ताओं और पी.जी.टी. शिक्षकों की एक ही वरीयता सूची बनाई है जिससे
पी.जी.टी. शिक्षकों को खासा नुक्सान उठाना पड़ेगा। अब इस मामले में शिक्षक
जल्द ही कोर्ट जाएंगे। शिक्षकों का कहना है कि जब पी.जी.टी. शिक्षकों का
अलग कैडर है और इनके भर्ती एवं पदोन्नति नियम भी अलग हैं। ऐसे में
पी.जी.टी. शिक्षकों को प्रवक्ता की वरीयता सूची में शामिल नहीं किया जा
सकता। विभाग को अलग कैडर होने के चलते पी.जी.टी. के लिए अलग से वरीयता सूची
बनानी चाहिए। ऐसे में शिक्षकों की वरिष्ठता बरकरार रहेगी अन्यथा विभाग ने
प्रवक्ता के बाद पी.जी.टी. को सूची में डाला है जिससे उनकी वरिष्ठता खत्म
हो रही है।शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
संघ के अध्यक्ष चित्ररंजन काल्टा ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि विभाग ने बीते 6 वर्षों से प्रवक्ता और पी.जी.टी. वरीयता सूची नहीं बनाई और अब जब शिक्षकों की बार-बार मांग उठाने के बाद यह सूची तैयार की गई है तो इसमें भी भारी अनियमितताएं हैं। विभाग ने दोनों कैडर को इकट्ठा कर दिया है जबकि संघ हाल ही में शिक्षा निदेशक से मिलकर उनको इन सब बातों से अवगत करा चुका है, बावजूद इसके भी विभाग ने प्रवक्ता व पी.जी.टी. की सूची तैयार की। काल्टा का कहना है कि यदि शिक्षा विभाग ने जल्द ही इसे दुरुस्त नहीं किया तो संघ अपने अधिकारों के लिए कोर्ट जाएगा। इसके लिए संघ तैयार है।