संवाद सहयोगी, हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश पीटीए शिक्षक संघर्ष मंच ने सरकार
से नियमितीकरण करने के वादे को पूरा करने की आवाज बुलंद की है।
पीटीए शिक्षक प्रदेशाध्यक्ष पंकज कुमार, उपाध्यक्ष दिनेश पटियाल, महासचिव राजपूत संजीव ठाकुर, सचिव अमित शर्मा, कोषाध्यक्ष रविकांत शर्मा, मुख्य सलाहकार नरेन्द्र शर्मा, संयोजक कासिम खान, प्रेस सचिव संतोष रावत ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 2006-07 में करीब 7000 पीटीए शिक्षकों को ग्रांट इन एड नीति के तहत तैनात किया गया था। वर्ष 2013 में नियमितीकरण को लेकर मुख्यमंत्री वीरभद्र ¨सह से पीटीए शिक्षक मिले थे। मुख्यमंत्री ने नियमितीकरण की पॉलिसी तैयार करने का आश्वासन भी दिया था और 2013 में पीटीए शिक्षकों को नियमितीकरण की पॉलिसी तैयार कर दी। सरकार द्वारा मनाई गई पॉलिसी पर कुछेक लोगों ने आपत्ति जताते हुए माननीय उच्च न्यायालय शिमला में याचिका दायर कर दी थी। उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिसंबर-2014 को फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार की पोलिसी व पीटीए शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया। न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश सरकार द्वारा तकरीबन 5500 के करीब शिक्षकों को अनुबंध में लाया गया, लेकिन इस दौरान माननीय उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। न्यायालय ने प्रदेश सरकार को यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिए। इसके चलते प्रदेशाध्यक्ष ने मामला न्यायालय में लम्बे समय तक विचाराधीन रहने की संभावना के चलते प्रदेश सरकार से मांग की है कि पीटीए शिक्षकों को शर्तो सहित नियमितीकरण के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
पीटीए शिक्षक प्रदेशाध्यक्ष पंकज कुमार, उपाध्यक्ष दिनेश पटियाल, महासचिव राजपूत संजीव ठाकुर, सचिव अमित शर्मा, कोषाध्यक्ष रविकांत शर्मा, मुख्य सलाहकार नरेन्द्र शर्मा, संयोजक कासिम खान, प्रेस सचिव संतोष रावत ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 2006-07 में करीब 7000 पीटीए शिक्षकों को ग्रांट इन एड नीति के तहत तैनात किया गया था। वर्ष 2013 में नियमितीकरण को लेकर मुख्यमंत्री वीरभद्र ¨सह से पीटीए शिक्षक मिले थे। मुख्यमंत्री ने नियमितीकरण की पॉलिसी तैयार करने का आश्वासन भी दिया था और 2013 में पीटीए शिक्षकों को नियमितीकरण की पॉलिसी तैयार कर दी। सरकार द्वारा मनाई गई पॉलिसी पर कुछेक लोगों ने आपत्ति जताते हुए माननीय उच्च न्यायालय शिमला में याचिका दायर कर दी थी। उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिसंबर-2014 को फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार की पोलिसी व पीटीए शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया। न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश सरकार द्वारा तकरीबन 5500 के करीब शिक्षकों को अनुबंध में लाया गया, लेकिन इस दौरान माननीय उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। न्यायालय ने प्रदेश सरकार को यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिए। इसके चलते प्रदेशाध्यक्ष ने मामला न्यायालय में लम्बे समय तक विचाराधीन रहने की संभावना के चलते प्रदेश सरकार से मांग की है कि पीटीए शिक्षकों को शर्तो सहित नियमितीकरण के लिए उचित कदम उठाए जाएं।