शिमला (मनोहर): प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे कितने शास्त्री अध्यापक हैं जिन्हें वर्ष 2012 से 23 सितम्बर, 2018 तक बिना बीएड की डिग्री के नियुक्त किया गया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व
न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने 29 जुलाई, 2011 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के पश्चात की गई इस तरह की नियुक्तियों बाबत शपथ पत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि वर्ष 2018 के बाद शास्त्री के पदों पर ऐसे कितने लोगों की बैचवाइज भर्ती की गई है जिन्होंने एलीमैंटरी एजुकेशन डिप्लोमा या समकक्ष डिग्री हासिल नहीं कर रखी है।भविष्य में एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ शास्त्री पदों पर भर्ती न करें
न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि वह भविष्य में शास्त्री के पदों पर चाहे बैचवाइज या हिमाचल प्रदेश सबोर्डिनेट स्टाफ सिलैक्शन कमीशन के माध्यम से एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ शास्त्री के पदों पर भर्ती न करें। न्यायालय ने इस बाबत भी स्पष्टीकरण मांगा है कि कोर्ट के समक्ष वक्तव्य देने के पश्चात उन्होंने शास्त्री के पदों पर होने वाली नियुक्ति के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में आज तक एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक क्यों संशोधन नहीं किया है। मामले पर सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।