जागरण संवाददाता, नगरोटा बगवां : प्रदेश में हाल ही में दसवीं कक्षा में कम
रहे परिणाम को लेकर अध्यापकों एवं मुखियों के निलंबन के आदेश जारी करने के
लिए शिक्षा विभाग अध्यापकों एवं मुखियों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा
है। इसका राजकीय अध्यापक संघ पुरजोर विरोध करता है।
प्रदेशाध्यक्ष एसएस रांटा, महासचिव सुभाष पठानिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एसपी चड्डा ने कहा कि परिणाम कम रहने का कारण केवल अध्यापक या विद्यालय प्रशासन ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि शिक्षा विभाग में उच्च शिक्षा निदेशक भी शामिल हैं तथा वह भी बराबर जिम्मेदार हैं। शिक्षा विभाग आनन-फानन में स्कूलों को आदेश पारित कर देते हैं कि जिन्हें विद्यालयों को लागू करना असंभव होता है। ग्रीष्मकालीन विद्यालयों की नौवीं कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है तथा यहीं आदेश यदि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से समय रहते पारित किए गए तो अध्यापकों को मुश्किल नहीं होती। कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि विद्यालयों के निरीक्षण कार्य में शिक्षा विभाग के अधिकारी फिसड्डी साबित हुए हैं तथा अधिकारी केवल उन्हीं स्कूलों का निरीक्षण करते हैं जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। कर्मचारी नेताओं ने शिक्षा विभाग की इस दमनकारी नीतियों का विरोध किया है तथा मांग की है कि आदेश को वापस लिया जाए।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
प्रदेशाध्यक्ष एसएस रांटा, महासचिव सुभाष पठानिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एसपी चड्डा ने कहा कि परिणाम कम रहने का कारण केवल अध्यापक या विद्यालय प्रशासन ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि शिक्षा विभाग में उच्च शिक्षा निदेशक भी शामिल हैं तथा वह भी बराबर जिम्मेदार हैं। शिक्षा विभाग आनन-फानन में स्कूलों को आदेश पारित कर देते हैं कि जिन्हें विद्यालयों को लागू करना असंभव होता है। ग्रीष्मकालीन विद्यालयों की नौवीं कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है तथा यहीं आदेश यदि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से समय रहते पारित किए गए तो अध्यापकों को मुश्किल नहीं होती। कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि विद्यालयों के निरीक्षण कार्य में शिक्षा विभाग के अधिकारी फिसड्डी साबित हुए हैं तथा अधिकारी केवल उन्हीं स्कूलों का निरीक्षण करते हैं जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। कर्मचारी नेताओं ने शिक्षा विभाग की इस दमनकारी नीतियों का विरोध किया है तथा मांग की है कि आदेश को वापस लिया जाए।
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