- The HP Teachers - हिमाचल प्रदेश - शिक्षकों का ब्लॉग: पीटीए शिक्षकों को बड़ा झटका, शिक्षा निदेशालय ने इस वजह से रोका पैसा पीटीए शिक्षकों को बड़ा झटका, शिक्षा निदेशालय ने इस वजह से रोका पैसा

पीटीए शिक्षकों को बड़ा झटका, शिक्षा निदेशालय ने इस वजह से रोका पैसा

शिमला : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों में तैनात 300 से ज्यादा पीटीए शिक्षकों को 7 माह महीने से मानदेय नहीं मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक, शिक्षक स्कूलों में मुफ्त सेवाएं दे रहे हैं। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं करने पर शिक्षा निदेशालय ने इनकी ग्रांट इन एड रोक दी है।
पीटीए अनुबंध अध्यापक संघ ने निदेशालय के अधिकारियों पर पुराने शिक्षकों पर नए नियम थोपने का आरोप लगाया है। संघ ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है। बताया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में पीटीए पर तैनात जिन शिक्षकों ने अभी तक बीएड नहीं की है, टेट पास नहीं किया है और जिन शिक्षकों के ग्रेजुएशन में 50 फीसदी से कम अंक हैं, उन्हें ग्रांट इन एड के तहत मिलने वाला मानदेय बंद किया है। दरअसल न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं करने वाले शिक्षा निदेशालय ने 16 अगस्त 2016 से ग्रांट बंद की है। गौरतलब है कि 2014 में गठित हाई पावर कमेटी ने साल 2010 से पूर्व नियुक्त किए गए पीटीए शिक्षकों को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता पूरी करने के लिए अगस्त 2016 तक का मौका दिया था।

सरकार ने लगा रखी है ये शर्त, टीचर हुए परेशान
राज्य सरकार ने पीटीए के जरिए रखे गए लेक्चरर के लिए शैक्षणिक योग्यता एमए और बीएड रखी है। इतना हीं नहीं सीएंडवी शिक्षकों का शास्त्री में डिप्लोमा अनिवार्य है। साल 2014 में हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में फैसला लेकर पीटीए शिक्षकों को प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन पूरी करने के लिए 2 साल का मौका मिला था। अगस्त 2016 में मोहलत पूरी हो गई थी। वहीं दूसरी ओर, पीटीए अनुबंध अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक मेहता का कहना है पीटीए शिक्षक साल 2006-07 में लगे थे। उस समय यह शिक्षक सभी तरह के नियमों को पूरा करते थे।

7 महीने से नहीं मिला मानदेय  
नए नियम साल 2010 में आए हैं। इन्हें लागू साल 2012 में किया गया। ऐसे में पहले से लगे शिक्षकों पर नए नियम कैसे लागू किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि 7 महीने से मानदेय नहीं मिलने के चलते सैकड़ों शिक्षकों का मानसिक और आर्थिक तौर पर शोषण हो रहा है। उन्होंने शिक्षा निदेशालय से साल 2012 के बाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों पर नए नियम लागू करने की मांग करते हुए पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को नियमित करने की अपील की है। अध्यक्ष विवेक मेहता ने मुख्यमंत्री से शिक्षकों को शोषण से मुक्त करने की गुहार लगाई है।
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