शिक्षा विभाग में टीचर ट्रांसफर के झगड़े खत्म होने का नाम नहीं ले रहे
हैं। बैन के बावजूद रसूख वाले शिक्षक अपने मनपसंद के स्टेशन पर अपनी
ट्रांसफर करवा रहे हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार जिन टीचरों को जरूरत के
अनुसार बदल रही है वह ट्रिब्यूनल से स्टे लेकर वहीं पर डटे हुए हैं।
इसका ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। राज्य सरकार ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद सोलन और राज्य के 7 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के प्रिंसिपल के तबादले किए। इन टीचरों ने दूसरी जगह ज्वाइनिंग देने के बजाए ट्रिब्यूनल से स्टे ले लिया। इसके बाद वह टीचर वहीं पर डटे हुए हैं। दरअसल सरकार राज्य के सभी प्रशिक्षण संस्थानों में नए सिरे से स्टाफ की तैनाती कर शिक्षकों के ट्रेनिंग के माड्यूल तैयार करना चाहती है। शिक्षा सचिव डा. अरुण शर्मा ने इसका प्लान बनाया हुआ है। इसे जिला शिक्षक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से चलाया जाना था।
ट्रिब्यूनल ने रिप्रजेंटेशन के लिए भेजे 2373 मामले
राज्य में शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है। ऐसे में तबादले भी सबसे ज्यादा यहीं पर होते हैं। पिछले एक साल में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2373 मामले बतौर रिप्रेजेंटेशन डील करने के लिए राज्य सरकार को वापिस भेजे हैं। इन्हें सचिव शिक्षा और शिक्षा निदेशक को फैसला लेना है। ट्रिब्यूनल की तरफ से ये केस डिस्पोज ऑफ माने जाते हैं लेकिन सचिव और निदेशक को इस पर फैसला लेना होता है।
इसका ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। राज्य सरकार ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद सोलन और राज्य के 7 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के प्रिंसिपल के तबादले किए। इन टीचरों ने दूसरी जगह ज्वाइनिंग देने के बजाए ट्रिब्यूनल से स्टे ले लिया। इसके बाद वह टीचर वहीं पर डटे हुए हैं। दरअसल सरकार राज्य के सभी प्रशिक्षण संस्थानों में नए सिरे से स्टाफ की तैनाती कर शिक्षकों के ट्रेनिंग के माड्यूल तैयार करना चाहती है। शिक्षा सचिव डा. अरुण शर्मा ने इसका प्लान बनाया हुआ है। इसे जिला शिक्षक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से चलाया जाना था।
ट्रिब्यूनल ने रिप्रजेंटेशन के लिए भेजे 2373 मामले
राज्य में शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है। ऐसे में तबादले भी सबसे ज्यादा यहीं पर होते हैं। पिछले एक साल में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 2373 मामले बतौर रिप्रेजेंटेशन डील करने के लिए राज्य सरकार को वापिस भेजे हैं। इन्हें सचिव शिक्षा और शिक्षा निदेशक को फैसला लेना है। ट्रिब्यूनल की तरफ से ये केस डिस्पोज ऑफ माने जाते हैं लेकिन सचिव और निदेशक को इस पर फैसला लेना होता है।