जागरण संवाददाता, शिमला : अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) की मेरिट पर
जेबीटी शिक्षकों के पद भरने पर उपजे विवाद का फैसला अब हाईकोर्ट के तीन
जजों की फुल बैंच करेगी। हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व
सीबी बारोवलिया की खंडपीठ ने टेट की मेरिट पर 671 पद भरने के लिए जुलाई
2017 में हुई काउंसिलिंग के परिणाम पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे।
हाईकोर्ट की दो खंडपीठों के विरोधाभासी निर्णयों के मद्देनजर अब इस विवाद
का फैसला तीन जजों की फुल बैंच से होगा।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ के समक्ष लगे इस मामले में कोर्ट ने इस विवाद को फुल कोर्ट यानी तीन जजों की बैंच को सौंपने के आदेश दिए। मामले पर आठ मार्च को अंतिम सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता राकेश कुमार व सोनू देवी का कहना है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेशों को अपने ढंग से परिभाषित कर टेट की मेरिट के आधार पर इन पदों को भरना चाहती है जबकि यह नियम अब नहीं है। जो नियम सरकार ने इस बाबत बनाए थे, उन्हें ट्रिब्यूनल ने गत वर्ष 30 अगस्त को निरस्त कर दिया था। इसके बाद सरकार ने 22 सितंबर 2017 को नए नियम बनाए जिसके तहत अब भर्ती 50 फीसद बैचवाइज व 50 फीसद कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से की जानी है। इन नए नियमों के बावजूद सरकार ने आवेदन दायर कर निरस्त हुए नियमों के तहत ही भर्ती को अंतिम रूप देने की इजाजत कोर्ट से मागी थी। इसे पहले भी न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने सरकार का आवेदन खारिज करते हुए कहा था कि सरकार मौजूदा नियमों के तहत जेबीटी के पदों को भरने के लिए स्वतंत्र है। इसके बाद हाईकोर्ट की ही एक अन्य खंडपीठ ने मामलों का निपटारा करते हुए वर्ष 2012 के नियमों के अनुसार ही टेट की मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के आदेश दिए थे। इस फैसले को आधार बनाते हुए सरकार ने 23 नवंबर 2018 को जेबीटी के 671 पदों को भरने के लिए अप्रूवल दे दी। शिक्षा विभाग ने उस अप्रूवल के आधार पर 10 जिलों में जेबीटी के 671 पदों को टेट की मेरिट वाले नियमों के तहत भरने के लिए पांच दिसंबर को एक पत्र जारी किया। इन पदों के लिए जुलाई 2017 में की गई काउंसिलिंग का परिणाम घोषित कर 15 दिसंबर तक नियुक्ति पत्र देने के आदेश जारी किए थे। कोर्ट ने इसी काउंसलिंग के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाई है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2012 में जेबीटी शिक्षकों के पदों को भरने के लिए टेट की मेरिट को आधार बनाया था। कुछ अभ्यर्थियों ने इस प्रावधान को यह कहकर चुनौती दी थी कि टेट केवल अध्यापक होने की आधारभूत योग्यता को दर्शाता है न कि यह नौकरी के लिए किसी प्रतियोगी परीक्षा में मेरिट को। सरकार ने टेट की मेरिट के आधार पर हो रही भर्ती प्रक्रिया को जारी रखा परंतु चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए। ट्रिब्यूनल ने 30 अगस्त 2017 को यह नियम खारिज कर दिया और 750 चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाने का मामला लटक गया। सरकार ने ट्रिब्यूनल में पुनर्विचार याचिका दायर कर 11 जनवरी 2018 को टेट की मेरिट पर आधारित पुरानी भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने की इजाजत ले ली। प्रार्थी राकेश कुमार ने ट्रिब्यूनल के इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 23 फरवरी को जेबीटी के स्वीकृत 750 पदों को टेट की मेरिट से भरने पर रोक लगा दी थी।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ के समक्ष लगे इस मामले में कोर्ट ने इस विवाद को फुल कोर्ट यानी तीन जजों की बैंच को सौंपने के आदेश दिए। मामले पर आठ मार्च को अंतिम सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता राकेश कुमार व सोनू देवी का कहना है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेशों को अपने ढंग से परिभाषित कर टेट की मेरिट के आधार पर इन पदों को भरना चाहती है जबकि यह नियम अब नहीं है। जो नियम सरकार ने इस बाबत बनाए थे, उन्हें ट्रिब्यूनल ने गत वर्ष 30 अगस्त को निरस्त कर दिया था। इसके बाद सरकार ने 22 सितंबर 2017 को नए नियम बनाए जिसके तहत अब भर्ती 50 फीसद बैचवाइज व 50 फीसद कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से की जानी है। इन नए नियमों के बावजूद सरकार ने आवेदन दायर कर निरस्त हुए नियमों के तहत ही भर्ती को अंतिम रूप देने की इजाजत कोर्ट से मागी थी। इसे पहले भी न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने सरकार का आवेदन खारिज करते हुए कहा था कि सरकार मौजूदा नियमों के तहत जेबीटी के पदों को भरने के लिए स्वतंत्र है। इसके बाद हाईकोर्ट की ही एक अन्य खंडपीठ ने मामलों का निपटारा करते हुए वर्ष 2012 के नियमों के अनुसार ही टेट की मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के आदेश दिए थे। इस फैसले को आधार बनाते हुए सरकार ने 23 नवंबर 2018 को जेबीटी के 671 पदों को भरने के लिए अप्रूवल दे दी। शिक्षा विभाग ने उस अप्रूवल के आधार पर 10 जिलों में जेबीटी के 671 पदों को टेट की मेरिट वाले नियमों के तहत भरने के लिए पांच दिसंबर को एक पत्र जारी किया। इन पदों के लिए जुलाई 2017 में की गई काउंसिलिंग का परिणाम घोषित कर 15 दिसंबर तक नियुक्ति पत्र देने के आदेश जारी किए थे। कोर्ट ने इसी काउंसलिंग के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाई है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2012 में जेबीटी शिक्षकों के पदों को भरने के लिए टेट की मेरिट को आधार बनाया था। कुछ अभ्यर्थियों ने इस प्रावधान को यह कहकर चुनौती दी थी कि टेट केवल अध्यापक होने की आधारभूत योग्यता को दर्शाता है न कि यह नौकरी के लिए किसी प्रतियोगी परीक्षा में मेरिट को। सरकार ने टेट की मेरिट के आधार पर हो रही भर्ती प्रक्रिया को जारी रखा परंतु चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए। ट्रिब्यूनल ने 30 अगस्त 2017 को यह नियम खारिज कर दिया और 750 चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाने का मामला लटक गया। सरकार ने ट्रिब्यूनल में पुनर्विचार याचिका दायर कर 11 जनवरी 2018 को टेट की मेरिट पर आधारित पुरानी भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने की इजाजत ले ली। प्रार्थी राकेश कुमार ने ट्रिब्यूनल के इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 23 फरवरी को जेबीटी के स्वीकृत 750 पदों को टेट की मेरिट से भरने पर रोक लगा दी थी।