राज्य ब्यूरो, शिमला : नॉन ग्रांट एसएमएसी शिक्षक संघ का प्रतिनिधिमंडल
वीरवार सुबह मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से उनके आवास पर मिला।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष बीएल चौहान ने कहा कि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों में स्कूल प्रबंधन कमेटी (एसएमसी) के माध्यम से नियुक्त शिक्षक पांच वर्षो से पढ़ा रहे हैं लेकिन उन्हें वेतन या मानदेय नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कई शिक्षकों का मनोबल पूरी तरह टूट चुका है। नॉन ग्रांट एसएमसी शिक्षक पूरा दिन स्कूल में रहते हैं। कहीं पर तो स्कूल में केवल एसएमएसी अध्यापक ही तैनात हैं। इन शिक्षकों को परिवार का पालन पोषण करने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। नॉन ग्रांट एसएमसी शिक्षकों के लिए भी नीति बनाई जाए। प्रदेश के करीब 3600 नॉन ग्रांट एसएमसी शिक्षक पांच वर्षो से बिन वेतन काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने संघ को ग्रांट की व्यवस्था जल्द करने व नीति बनाने पर विचार करने का आश्वासन दिया है। वहीं, एसएमसी शिक्षक इस शैक्षणिक सत्र के लिए अनुबंध को रिन्यू करने की मांग को लेकर दो दिनों से मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास कर रहे हैं। अब एसएमसी शिक्षकों को मंत्रिमंडल की बैठक में उनके संबंध में कुछ फैसला होने का इंतजार है।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष बीएल चौहान ने कहा कि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों में स्कूल प्रबंधन कमेटी (एसएमसी) के माध्यम से नियुक्त शिक्षक पांच वर्षो से पढ़ा रहे हैं लेकिन उन्हें वेतन या मानदेय नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कई शिक्षकों का मनोबल पूरी तरह टूट चुका है। नॉन ग्रांट एसएमसी शिक्षक पूरा दिन स्कूल में रहते हैं। कहीं पर तो स्कूल में केवल एसएमएसी अध्यापक ही तैनात हैं। इन शिक्षकों को परिवार का पालन पोषण करने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। नॉन ग्रांट एसएमसी शिक्षकों के लिए भी नीति बनाई जाए। प्रदेश के करीब 3600 नॉन ग्रांट एसएमसी शिक्षक पांच वर्षो से बिन वेतन काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने संघ को ग्रांट की व्यवस्था जल्द करने व नीति बनाने पर विचार करने का आश्वासन दिया है। वहीं, एसएमसी शिक्षक इस शैक्षणिक सत्र के लिए अनुबंध को रिन्यू करने की मांग को लेकर दो दिनों से मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास कर रहे हैं। अब एसएमसी शिक्षकों को मंत्रिमंडल की बैठक में उनके संबंध में कुछ फैसला होने का इंतजार है।