बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने प्रदेश
के सोलन, मंडी व शिमला जिलों में शारीरिक शिक्षकों की भर्ती मामले में
अनियमितता बरतने पर अपना फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार को 45 दिन के भीतर
पात्र बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं।
प्रदेश ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष वी.के. शर्मा ने यह आदेश गत 28 अप्रैल को राज्य बेरोजगार शारीरिक शिक्षक संघ की याचिका पर दिए हैं। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के इस फैसले से प्रदेश के करीब 700 बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
हाईकोर्ट ने दिए थे समान लाभ देने के निदेर्श
जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने वर्ष, 2014 में सोलन, मंडी व शिमला जिलों में बैचवाइज भर्ती प्रक्रिया के तहत शारीरिक शिक्षकों के करीब 20 पदों को अनुबंध आधार पर भरा है। इस भर्ती प्रक्रिया में वर्ष 1997 व 1998 बैच के बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को नजरअंदाज करते हुए अगामी वर्ष के प्रशिक्षित बेरोजगारों को नौकरी पर तैनात कर दिया। इतना ही नहीं विभाग ने भर्ती के लिए इन वरिष्ठ बेरोजगारों को साक्षात्कार के लिए भी नहीं बुलाया। शिक्षा विभाग के इस तानाशाही रवैये के विरुद्ध राज्य बेरोजगार शारीरिक संघ ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता बेरोजगारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विभाग को इन बेरोजगारों को भी समान लाभ देने के निर्देश जारी किए।
सोलन में एक बेरोजगार शारीरिक शिक्षक को दी नियुक्ति
उच्च न्यायालय के आदेश पर हरकत में आए शिक्षा विभाग ने अप्रैल, 2014 में मंडी व सोलन व कुल्लू जिलों में बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों के पद भरने के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर इन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया। उस समय मंडी, कुल्लू व सोलन जिलों में बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों के साक्षात्कार भी लिए गए। विभाग ने बेरोजगारों की वरिष्ठता सूची तैयार कर निदेशालय को भेज दी, जिसके बाद सोलन जिला में एक बेरोजगार शारीरिक शिक्षक को नियुक्ति भी दे दी गई लेकिन मंडी व कुल्लू जिला में हुए साक्षात्कार का विभाग ने रिजल्ट नहीं निकाला, जिस पर संघ ने दोबारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों ने जल्द मांगी नियुक्ति
इसके बाद उच्च न्यायालय ने मामला हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भेज दिया। राज्य बेरोजगार शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष चमन गौतम ने बताया कि हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल द्वारा 28 अप्रैल को दिए गए फैसले से वर्ष 1997 व 1998 के प्रशिक्षित बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। उन्होंने शिक्षा विभाग से जल्द हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार नियुक्ति प्रदान कर बेरोजगारों को राहत पहुंचाने का आग्रह किया है।
प्रदेश ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष वी.के. शर्मा ने यह आदेश गत 28 अप्रैल को राज्य बेरोजगार शारीरिक शिक्षक संघ की याचिका पर दिए हैं। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के इस फैसले से प्रदेश के करीब 700 बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
हाईकोर्ट ने दिए थे समान लाभ देने के निदेर्श
जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने वर्ष, 2014 में सोलन, मंडी व शिमला जिलों में बैचवाइज भर्ती प्रक्रिया के तहत शारीरिक शिक्षकों के करीब 20 पदों को अनुबंध आधार पर भरा है। इस भर्ती प्रक्रिया में वर्ष 1997 व 1998 बैच के बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को नजरअंदाज करते हुए अगामी वर्ष के प्रशिक्षित बेरोजगारों को नौकरी पर तैनात कर दिया। इतना ही नहीं विभाग ने भर्ती के लिए इन वरिष्ठ बेरोजगारों को साक्षात्कार के लिए भी नहीं बुलाया। शिक्षा विभाग के इस तानाशाही रवैये के विरुद्ध राज्य बेरोजगार शारीरिक संघ ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता बेरोजगारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विभाग को इन बेरोजगारों को भी समान लाभ देने के निर्देश जारी किए।
सोलन में एक बेरोजगार शारीरिक शिक्षक को दी नियुक्ति
उच्च न्यायालय के आदेश पर हरकत में आए शिक्षा विभाग ने अप्रैल, 2014 में मंडी व सोलन व कुल्लू जिलों में बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों के पद भरने के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर इन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया। उस समय मंडी, कुल्लू व सोलन जिलों में बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों के साक्षात्कार भी लिए गए। विभाग ने बेरोजगारों की वरिष्ठता सूची तैयार कर निदेशालय को भेज दी, जिसके बाद सोलन जिला में एक बेरोजगार शारीरिक शिक्षक को नियुक्ति भी दे दी गई लेकिन मंडी व कुल्लू जिला में हुए साक्षात्कार का विभाग ने रिजल्ट नहीं निकाला, जिस पर संघ ने दोबारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों ने जल्द मांगी नियुक्ति
इसके बाद उच्च न्यायालय ने मामला हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भेज दिया। राज्य बेरोजगार शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष चमन गौतम ने बताया कि हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल द्वारा 28 अप्रैल को दिए गए फैसले से वर्ष 1997 व 1998 के प्रशिक्षित बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। उन्होंने शिक्षा विभाग से जल्द हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार नियुक्ति प्रदान कर बेरोजगारों को राहत पहुंचाने का आग्रह किया है।