राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश पैरा शिक्षक संघ नियमित शिक्षकों
के समान वेतन देने के निर्णय को लागू न करने पर विभागीय अधिकारियों से खफा
है। संघ के पदाधिकारियों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है
कि सरकार के निर्णय को जानबूझ कर लागू नहीं किया जा रहा है।
संघ के अध्यक्ष चितरंजन महंत ने कहा कि 2003 में पैराटीचर्स पॉलिसी के तहत लगे लगभग सौ शिक्षक वर्ष 2014 में नियमित नहीं हो पाए थे। इसे लेकर पांच अगस्त की कैबिनेट बैठक में लेफ्ट आउट पैरा शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर वेतनमान का प्रस्ताव पारित हुआ लेकिन शिक्षा विभाग ने अपनी अज्ञानता का परिचय देते हुए इन शिक्षकों को अनुबंध शिक्षकों के समान वेतन के फरमान जारी कर दिए। जबकि यह तो पैरा शिक्षक वर्ष 2007 से पहले ही ले रहे थे।
इस मामले को लेकर पैरा शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल 21 अगस्त को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, मुख्य सचिव वीसी फारका तथा शिक्षा सचिव और वित्त सचिव से मिला था, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए शिक्षा सचिव को तलब किया और मामला दोबारा 22 अगस्त की कैबिनेट में लगाया। इस बैठक में सभी कानूनी विसंगतियों पर गौर करने के बाद पैरा शिक्षकों को नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन शिक्षा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने अभी तक आदेश जारी नहीं किए हैं। संघ के पदाधिकारी 15 दिन से लगातार चक्कर लगा रहे हैं। विभाग के अधिकारी हवाला दे रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में स्टेटस-को लगा है, इसलिए रिव्यू के लिए फाइल को वापस भेजा गया है, जबकि विधि विभाग पहले ही पैरा शिक्षकों को नियमित करने को लेकर हरी झडी दे चुका है।
संघ के अध्यक्ष चितरंजन महंत ने कहा कि 2003 में पैराटीचर्स पॉलिसी के तहत लगे लगभग सौ शिक्षक वर्ष 2014 में नियमित नहीं हो पाए थे। इसे लेकर पांच अगस्त की कैबिनेट बैठक में लेफ्ट आउट पैरा शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर वेतनमान का प्रस्ताव पारित हुआ लेकिन शिक्षा विभाग ने अपनी अज्ञानता का परिचय देते हुए इन शिक्षकों को अनुबंध शिक्षकों के समान वेतन के फरमान जारी कर दिए। जबकि यह तो पैरा शिक्षक वर्ष 2007 से पहले ही ले रहे थे।
इस मामले को लेकर पैरा शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल 21 अगस्त को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, मुख्य सचिव वीसी फारका तथा शिक्षा सचिव और वित्त सचिव से मिला था, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए शिक्षा सचिव को तलब किया और मामला दोबारा 22 अगस्त की कैबिनेट में लगाया। इस बैठक में सभी कानूनी विसंगतियों पर गौर करने के बाद पैरा शिक्षकों को नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन शिक्षा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने अभी तक आदेश जारी नहीं किए हैं। संघ के पदाधिकारी 15 दिन से लगातार चक्कर लगा रहे हैं। विभाग के अधिकारी हवाला दे रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में स्टेटस-को लगा है, इसलिए रिव्यू के लिए फाइल को वापस भेजा गया है, जबकि विधि विभाग पहले ही पैरा शिक्षकों को नियमित करने को लेकर हरी झडी दे चुका है।