शिमला| हाईकोर्ट में लंबित जेबीटी शिक्षकों के 750 पदों को भरने संबंधी
मामले में फैसला 8 मई को होगा। इस दिन मामले में अंतिम सुनवाई रखी गई है।
सरकार टेट की मेरिट पर इन पदों को भरना चाहती है जबकि मौजूद हालात में ऐसे
कोई नियम नहीं है।
जो नियम सरकार ने इस बाबत बनाए थे उन्हें ट्रिब्यूनल ने गत वर्ष 30 अगस्त को निरस्त कर दिया था। सरकार ने फिर से नए नियम बनाए जिसके तहत अब भर्ती 50 फीसदी बैच वाइज व 50 फीसदी चयन आयोग के माध्यम से करने का नियम बनाया। नए नियमों के बावजूद सरकार ने निरस्त हुए नियमों के तहत ही भर्ती को अंतिम रूप देने की इजाजत कोर्ट से मांगी थी जिसे न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सरकार का आवेदन खारिज करते हुए कहा था कि मौजूदा नियमों के तहत वह जेबीटी के पदों को भरने के लिए स्वतंत्र है। सरकार ने वर्ष 2012 में जेबीटी के पदों को भरने के लिए टेट की मेरिट को आधार बनाया था। कुछ अभ्यर्थियों ने इस प्रावधान को यह कह कर चुनौती दी थी कि टेट केवल अध्यापक होने की आधारभूत योग्यता को दर्शाता है न कि यह नौकरी के लिए किसी प्रतियोगी परीक्षा में मेरिट को। सरकार ने टेट की मेरिट के आधार पर हो रही भर्ती प्रक्रिया को जारी रखा परन्तु चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए। ट्रिब्यूनल ने 30 अगस्त 2017 को इस नियम को खारिज कर दिया और 750 चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाने का मामला लटक गया। सरकार ने ट्रिब्यूनल में पुनर्विचार याचिका दायर कर 11 जनवरी 2018 को टेट की मेरिट पर आधारित पुरानी भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने की इजाजत ले ली। अभ्यर्थी राकेश कुमार ने ट्रिब्यूनल के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 23 फरवरी को हाईकोर्ट ने जेबीटी के स्वीकृत 750 पदों को टेट की मेरिट से भरने पर रोक लगा दी। पुराने नियमों के तहत भर्ती को जारी रखने के समर्थन में दी गई सरकार की दलीलों के तहत अगर नए सिरे से जेबीटी के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाती है तो कम से कम 6 महीने के अतिरिक्त समय की जरूरत होगी। पुराने नियमों के तहत चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। केवल नियुक्ति पत्र जारी करना शेष रहता है। प्राथमिक स्कूलों में सैकंडों जेबीटी के पद रिक्त हैं और शिक्षकों की कमी से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
जो नियम सरकार ने इस बाबत बनाए थे उन्हें ट्रिब्यूनल ने गत वर्ष 30 अगस्त को निरस्त कर दिया था। सरकार ने फिर से नए नियम बनाए जिसके तहत अब भर्ती 50 फीसदी बैच वाइज व 50 फीसदी चयन आयोग के माध्यम से करने का नियम बनाया। नए नियमों के बावजूद सरकार ने निरस्त हुए नियमों के तहत ही भर्ती को अंतिम रूप देने की इजाजत कोर्ट से मांगी थी जिसे न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सरकार का आवेदन खारिज करते हुए कहा था कि मौजूदा नियमों के तहत वह जेबीटी के पदों को भरने के लिए स्वतंत्र है। सरकार ने वर्ष 2012 में जेबीटी के पदों को भरने के लिए टेट की मेरिट को आधार बनाया था। कुछ अभ्यर्थियों ने इस प्रावधान को यह कह कर चुनौती दी थी कि टेट केवल अध्यापक होने की आधारभूत योग्यता को दर्शाता है न कि यह नौकरी के लिए किसी प्रतियोगी परीक्षा में मेरिट को। सरकार ने टेट की मेरिट के आधार पर हो रही भर्ती प्रक्रिया को जारी रखा परन्तु चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए। ट्रिब्यूनल ने 30 अगस्त 2017 को इस नियम को खारिज कर दिया और 750 चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाने का मामला लटक गया। सरकार ने ट्रिब्यूनल में पुनर्विचार याचिका दायर कर 11 जनवरी 2018 को टेट की मेरिट पर आधारित पुरानी भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने की इजाजत ले ली। अभ्यर्थी राकेश कुमार ने ट्रिब्यूनल के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 23 फरवरी को हाईकोर्ट ने जेबीटी के स्वीकृत 750 पदों को टेट की मेरिट से भरने पर रोक लगा दी। पुराने नियमों के तहत भर्ती को जारी रखने के समर्थन में दी गई सरकार की दलीलों के तहत अगर नए सिरे से जेबीटी के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाती है तो कम से कम 6 महीने के अतिरिक्त समय की जरूरत होगी। पुराने नियमों के तहत चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। केवल नियुक्ति पत्र जारी करना शेष रहता है। प्राथमिक स्कूलों में सैकंडों जेबीटी के पद रिक्त हैं और शिक्षकों की कमी से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।