जनजातीय क्षेत्रों में एसएमसी की
तर्ज पर होगी शिक्षकों की भर्ती
अध्यापकों को आईटी मंत्रालय जारी करेगा बेसिक सैलरी
सालों से खाली पड़े हैं गणित व विज्ञान अध्यापकों के पद
अशोक राणा
केलांग (लाहौल-स्पीति)। जनजातीय इलाकों के सरकारी स्कूलों में अब अध्यापकों के पद खाली नहीं रहेंगे। एसएमसी की तर्ज पर स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती होगी। इन अध्यापकों को आईटी मंत्रालय बेसिक सैलरी देगा। जनजातीय इलाकों में सालों से खाली चल रहे रिक्त पदों को भरने की दिशा में आईटी मंत्रालय ने पहल की है।
शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक लाहौल-स्पीति समेत जनजातीय और दुर्गम इलाकों के सरकारी स्कूलों में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे अहम विषयों के शिक्षकों के पद सालों से खाली चल रहे हैं। जिसका सीधा असर बच्चों के परीक्षा परिणाम में दिखने लगा है। बेहतर शिक्षा के लिए जनजातीय क्षेत्रों से बच्चों का पलायन भी हो रहा है। अब आईटी मंत्रालय ऐसे स्कूलों में एसएमसी की तर्ज पर टीचरों की भर्ती करने जा रहा है। इन अध्यापकों को बाकायदा बेसिक सैलरी दी जाएगी। आईटी मंत्रालय इन शिक्षकों को वेतन जारी करेगा। लाहौल-स्पीति के कई स्कूलों में सालों से गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे अहम विषयों के शिक्षक पद खाली चल रहे हैं। नतीजतन एनसीआरटी के हालिया सर्वे में जनजातीय क्षेत्रों के बच्चे इन विषयों में सबसे कमजोर आंके गए हैं। हालांकि एसएमसी के जरिए शिक्षकों के पदों को भरने का विकल्प खुला है लेकिन वेतन बेहद कम होने से गणित और विज्ञान के स्नातक अध्यापक सेवाएं देने को तैयार नहीं हैं। अब आईटी मंत्रालय इन टीजीटी और पीजीटी की बेसिक सैलरी देगा। कृषि, आईटी एवं जनजातीय विकास मंत्री डॉ. मारकंडा ने इसकी पुष्टि की है।
मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के अभाव में बच्चों के भविष्य से समझौता नहीं किया जा सकता है। आईटी मंत्रालय अब एसएमसी की तर्ज पर शिक्षकों की भर्ती कर उनको बेसिक सैलरी देगा। मारकंडा के इस पहल का जनजातीय और दुर्गम इलाकों में स्वागत किया जा रहा है। टीएसी मेंबर पुष्पा देवी, लोबजंग, जिप अध्यक्ष रमेश, जिप सदस्य तंजिन करपा, शकुंतला, पंचायत प्रधान संघ के अध्यक्ष सत प्रकाश, कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष मेघचंद प्रभु जी ने कहा कि इससे से शिक्षा में गुणवत्ता आने के साथ बच्चों का पलायन रुक जाएगा।
अध्यापकों को आईटी मंत्रालय जारी करेगा बेसिक सैलरी
सालों से खाली पड़े हैं गणित व विज्ञान अध्यापकों के पद
अशोक राणा
केलांग (लाहौल-स्पीति)। जनजातीय इलाकों के सरकारी स्कूलों में अब अध्यापकों के पद खाली नहीं रहेंगे। एसएमसी की तर्ज पर स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती होगी। इन अध्यापकों को आईटी मंत्रालय बेसिक सैलरी देगा। जनजातीय इलाकों में सालों से खाली चल रहे रिक्त पदों को भरने की दिशा में आईटी मंत्रालय ने पहल की है।
शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक लाहौल-स्पीति समेत जनजातीय और दुर्गम इलाकों के सरकारी स्कूलों में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे अहम विषयों के शिक्षकों के पद सालों से खाली चल रहे हैं। जिसका सीधा असर बच्चों के परीक्षा परिणाम में दिखने लगा है। बेहतर शिक्षा के लिए जनजातीय क्षेत्रों से बच्चों का पलायन भी हो रहा है। अब आईटी मंत्रालय ऐसे स्कूलों में एसएमसी की तर्ज पर टीचरों की भर्ती करने जा रहा है। इन अध्यापकों को बाकायदा बेसिक सैलरी दी जाएगी। आईटी मंत्रालय इन शिक्षकों को वेतन जारी करेगा। लाहौल-स्पीति के कई स्कूलों में सालों से गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे अहम विषयों के शिक्षक पद खाली चल रहे हैं। नतीजतन एनसीआरटी के हालिया सर्वे में जनजातीय क्षेत्रों के बच्चे इन विषयों में सबसे कमजोर आंके गए हैं। हालांकि एसएमसी के जरिए शिक्षकों के पदों को भरने का विकल्प खुला है लेकिन वेतन बेहद कम होने से गणित और विज्ञान के स्नातक अध्यापक सेवाएं देने को तैयार नहीं हैं। अब आईटी मंत्रालय इन टीजीटी और पीजीटी की बेसिक सैलरी देगा। कृषि, आईटी एवं जनजातीय विकास मंत्री डॉ. मारकंडा ने इसकी पुष्टि की है।
मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के अभाव में बच्चों के भविष्य से समझौता नहीं किया जा सकता है। आईटी मंत्रालय अब एसएमसी की तर्ज पर शिक्षकों की भर्ती कर उनको बेसिक सैलरी देगा। मारकंडा के इस पहल का जनजातीय और दुर्गम इलाकों में स्वागत किया जा रहा है। टीएसी मेंबर पुष्पा देवी, लोबजंग, जिप अध्यक्ष रमेश, जिप सदस्य तंजिन करपा, शकुंतला, पंचायत प्रधान संघ के अध्यक्ष सत प्रकाश, कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष मेघचंद प्रभु जी ने कहा कि इससे से शिक्षा में गुणवत्ता आने के साथ बच्चों का पलायन रुक जाएगा।