शिमला। सरकारी नौकरी वाले अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों
में पढ़ाएं, इलाहबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का हिमाचल के कुछ शिक्षक संघों
ने स्वागत किया है। शिक्षक संघों का कहना है कि इसी आधार पर प्रदेश सरकार
को भी ये व्यवस्था लागू करनी चाहिए। हालांकि प्रदेश में शिक्षा विभाग से
जुड़े अफसरों और नेताओं में से किसी के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं हैं,
न ही ये इन स्कूलों में कभी पढ़े हैं। राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष
वीरेंद्र चौहान ने कोर्ट के इस फैसले को प्रसंशनीय बताया है।
उन्होंने सरकार को कहा है कि वह विधानसभा सत्र में इस पर चर्चा करे और इस व्यवस्था को यहां भी लागू किया जाए। यदि ऐसा होता है तो शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। विरेंद्र चौहान ने साथ ही ये भी कहा कि नेशनल एजूकेशन पॉलिसी में प्रदेश के कमेंंट बहुत ही बड़ी भूमिका निभाते हंै, लेकिन इसे लेकर सरकार ने किसी भी संघ को निमंत्रण नहीं दिया है।
पोर्टमोर बैठक में संघों द्वारा विभाग को सौंपे गए ड्राफ्ट पर कोई चर्चा नहीं की गई है। प्रदेश अध्यापक संघ प्रदेश सरकार को ड्राफ्ट सौंप चुका है कि सरकारी नौकरी वाले लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं। प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अश्वनी ने भी कोर्ट के ताजा फैसले को लागू करने की मांग की है।
शिक्षक संघों ने इसे लेकर हैरानी व्यक्त की है कि ये कैसी शिक्षा नीति बनाने पर चर्चा की गई जिसमें प्रदेश से एलीमेंट्री और हायर डिपार्टमेंट से किसी भी शिक्षक को नहीं बुलाया जा रहा है। प्रिंसिपल और अन्य विभागों के अधिकारियों को बुलाया गया है।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening
उन्होंने सरकार को कहा है कि वह विधानसभा सत्र में इस पर चर्चा करे और इस व्यवस्था को यहां भी लागू किया जाए। यदि ऐसा होता है तो शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। विरेंद्र चौहान ने साथ ही ये भी कहा कि नेशनल एजूकेशन पॉलिसी में प्रदेश के कमेंंट बहुत ही बड़ी भूमिका निभाते हंै, लेकिन इसे लेकर सरकार ने किसी भी संघ को निमंत्रण नहीं दिया है।
पोर्टमोर बैठक में संघों द्वारा विभाग को सौंपे गए ड्राफ्ट पर कोई चर्चा नहीं की गई है। प्रदेश अध्यापक संघ प्रदेश सरकार को ड्राफ्ट सौंप चुका है कि सरकारी नौकरी वाले लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं। प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अश्वनी ने भी कोर्ट के ताजा फैसले को लागू करने की मांग की है।
शिक्षक संघों ने इसे लेकर हैरानी व्यक्त की है कि ये कैसी शिक्षा नीति बनाने पर चर्चा की गई जिसमें प्रदेश से एलीमेंट्री और हायर डिपार्टमेंट से किसी भी शिक्षक को नहीं बुलाया जा रहा है। प्रिंसिपल और अन्य विभागों के अधिकारियों को बुलाया गया है।
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