जागरण टीम, नगरोटा बगवां/कांगड़ा : राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष
वीरेंद्र चौहान व वरिष्ठ उपप्रधान सरोज मैहता ने कहा है कि गैरशिक्षण
कार्यो में शिक्षकों की तैनाती तुरंत प्रभाव से बंद की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की अलग-अलग कार्यो में ड्यूटी लगाने का असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ता है। कहा कि बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक है कि शिक्षकों की बजाय अन्य विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी गैरशिक्षण कार्यो में लगाई जानी चाहिए।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि एक ओर प्रदेश सरकार एवं शिक्षा विभाग की ओर से गुणात्मक शिक्षा की बात की जाती है जबकि दूसरी ओर शिक्षकों को पढ़ाई करवाने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं दिया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी हालांकि शिक्षकों से कम से कम गैरशिक्षक कार्य लेने के आदेश दिए थे पर प्रदेश सरकार की ओर से कोई भी सकारात्मक पहल नहीं की गई है। वहीं, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ खंड कागड़ा के प्रधान कमलजीत व अन्य सदस्यों ने एमआइएस, एसडीपी व अन्य कार्यो की जानकारी को ऑनलाइन करने के आदेश का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से शिक्षकों को ऐसा कोई भी साधन मुहैया नहीं करवाया गया है जिससे आकड़ों को ऑनलाइन अपलोड किया जा सके। कहा कि अधिकतर पाठशालाओं में लगभग दो अध्यापक ही हैं और भौगोलिक परिस्थितिया ऐसी हैं कि पाठशाला में नेटवर्क नहीं होता है तो ऐसे में शिक्षक क्या करें। इस मौके पर राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ खंड कागड़ा के प्रधान कमलजीत, महासचिव सुशील कुमार सिहोतरा, सुषमा कुमारी, श्रेष्ठा शर्मा, सुनीता कुमारी, सुमन कुमारी, पूनम गुप्ता, रातरानी, बलजीत कौर, प्रभात सिंह, ओम प्रकाश, मीना कुमारी, गायत्री देवी, ललिता देवी, मनजीत सिंह, राजकुमार, सुकन्या देवी, निधि वालिया, हंसराज थाना व सुरेश सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की अलग-अलग कार्यो में ड्यूटी लगाने का असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ता है। कहा कि बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक है कि शिक्षकों की बजाय अन्य विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी गैरशिक्षण कार्यो में लगाई जानी चाहिए।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि एक ओर प्रदेश सरकार एवं शिक्षा विभाग की ओर से गुणात्मक शिक्षा की बात की जाती है जबकि दूसरी ओर शिक्षकों को पढ़ाई करवाने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं दिया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी हालांकि शिक्षकों से कम से कम गैरशिक्षक कार्य लेने के आदेश दिए थे पर प्रदेश सरकार की ओर से कोई भी सकारात्मक पहल नहीं की गई है। वहीं, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ खंड कागड़ा के प्रधान कमलजीत व अन्य सदस्यों ने एमआइएस, एसडीपी व अन्य कार्यो की जानकारी को ऑनलाइन करने के आदेश का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से शिक्षकों को ऐसा कोई भी साधन मुहैया नहीं करवाया गया है जिससे आकड़ों को ऑनलाइन अपलोड किया जा सके। कहा कि अधिकतर पाठशालाओं में लगभग दो अध्यापक ही हैं और भौगोलिक परिस्थितिया ऐसी हैं कि पाठशाला में नेटवर्क नहीं होता है तो ऐसे में शिक्षक क्या करें। इस मौके पर राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ खंड कागड़ा के प्रधान कमलजीत, महासचिव सुशील कुमार सिहोतरा, सुषमा कुमारी, श्रेष्ठा शर्मा, सुनीता कुमारी, सुमन कुमारी, पूनम गुप्ता, रातरानी, बलजीत कौर, प्रभात सिंह, ओम प्रकाश, मीना कुमारी, गायत्री देवी, ललिता देवी, मनजीत सिंह, राजकुमार, सुकन्या देवी, निधि वालिया, हंसराज थाना व सुरेश सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।