बड़सर: हिमाचल प्रदेश में खुद को गुणात्मक शिक्षा के प्रहरी कहलवाने का दम भरने वाले निजी स्कूलों में अन्य अनियमितताओं के अलावा टैट पास शिक्षकों का भी भारी टोटा है क्योंकि महज 2 से 5,000 रुपए महीने की मामूली पगार पर कोई भी टैट पास शिक्षक निजी स्कूलों में अपनी सेवाएं नहीं देना चाहता।
ऐसे में पैसे भी बच जाएं और काम भी चल जाए, इसके लिए अधिकांश निजी स्कूल संचालक जुगाड़बाजी से काम चलाने का प्रयास कर रहे हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों को टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट यानी टैट पास करना अनिवार्य है, ऐसे में सबसे ज्यादा डिमांड टैट पास जे.बी.टी. शिक्षकों की है लेकिन टैट पास शिक्षक कम तनख्वाह तथा शोषण के कारण निजी स्कूलों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि निजी स्कूलों के पास टैट पास शिक्षकों की भारी कमी है तथा अधिकांश निजी स्कूलों ने बिना टैट पास शिक्षकों के ही काम चलाया हुआ है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद स्कूलों को 5 साल की छूट दी गई थी लेकिन अप्रैल, 2015 के बाद जे.बी.टी., टी.जी.टी., एल.टी. व शास्त्री शिक्षकों का टैट पास होना अनिवार्य है।
मान्यता हो सकती है रद्द
टैट पास शिक्षक न होने पर निजी स्कूलों की मान्यता तक रद्द हो सकती है, ऐसे में निजी स्कूल अब इससे भी निजात पाने की नई-नई तरकीबें खोज रहे हैं। जो युवा जे.बी.टी. टैट पास हैं, उनको इस सस्ती पगार में नौकरी के लिए न मना पाने पर निजी स्कूल केवल टैट पास सर्टीफिकेट ही दे देने के लिए ऑफर दे रहे हैं ताकि कागजों में शिक्षा का अधिकार भी पूरा रहे और धरातल पर शिक्षा का व्यापारीकरण भी चलता रहे।
खाई वाली कहावत हो रही चरितार्थ
ऐसे में शिक्षा का अधिकार अधिनियम खुद सरकार भी तार-तार कर रही है क्योंकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में उच्च वेतन व सुविधाएं शिक्षकों को देने के साफ आदेश हैं, ऐसे में निजी स्कूलों के हाथों शोषित हों या सरकार के हाथों। बेरोजगार शिक्षकों के लिए दोनों ही रास्ते आगे कुआं और पीछे खाई वाले हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
ऐसे में पैसे भी बच जाएं और काम भी चल जाए, इसके लिए अधिकांश निजी स्कूल संचालक जुगाड़बाजी से काम चलाने का प्रयास कर रहे हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों को टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट यानी टैट पास करना अनिवार्य है, ऐसे में सबसे ज्यादा डिमांड टैट पास जे.बी.टी. शिक्षकों की है लेकिन टैट पास शिक्षक कम तनख्वाह तथा शोषण के कारण निजी स्कूलों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि निजी स्कूलों के पास टैट पास शिक्षकों की भारी कमी है तथा अधिकांश निजी स्कूलों ने बिना टैट पास शिक्षकों के ही काम चलाया हुआ है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद स्कूलों को 5 साल की छूट दी गई थी लेकिन अप्रैल, 2015 के बाद जे.बी.टी., टी.जी.टी., एल.टी. व शास्त्री शिक्षकों का टैट पास होना अनिवार्य है।
मान्यता हो सकती है रद्द
टैट पास शिक्षक न होने पर निजी स्कूलों की मान्यता तक रद्द हो सकती है, ऐसे में निजी स्कूल अब इससे भी निजात पाने की नई-नई तरकीबें खोज रहे हैं। जो युवा जे.बी.टी. टैट पास हैं, उनको इस सस्ती पगार में नौकरी के लिए न मना पाने पर निजी स्कूल केवल टैट पास सर्टीफिकेट ही दे देने के लिए ऑफर दे रहे हैं ताकि कागजों में शिक्षा का अधिकार भी पूरा रहे और धरातल पर शिक्षा का व्यापारीकरण भी चलता रहे।
खाई वाली कहावत हो रही चरितार्थ
ऐसे में शिक्षा का अधिकार अधिनियम खुद सरकार भी तार-तार कर रही है क्योंकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में उच्च वेतन व सुविधाएं शिक्षकों को देने के साफ आदेश हैं, ऐसे में निजी स्कूलों के हाथों शोषित हों या सरकार के हाथों। बेरोजगार शिक्षकों के लिए दोनों ही रास्ते आगे कुआं और पीछे खाई वाले हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC