हिमाचल प्रदेश कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) पदों को पदोन्नति से वंचित रखने पर लिया कड़ा संज्ञान
संवाद सहयोगी, पालमपुर : हिमाचल प्रदेश कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) पदों को पदोन्नति से वंचित रखने पर कड़ा संज्ञान लिया है। 2008 में भर्ती शिक्षकों को 12 साल बाद भी टीजीटी से प्रवक्ता (न्यू) नहीं बनाया जा रहा है, क्योंकि अनुबंध समय को पदोन्नति के लिए नहीं गिना जाता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जिस दिन से कर्मचारी सरकारी सेवा में आता है उसी दिन से उसके कार्य को पदोन्नति के लिए गिना जाए। बिडंवना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना जा रहा है।
मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण कुमार, महासचिव अरुण कानूनगो, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमल किशोर, संयुक्त सचिव संजय चौहान, वरिष्ठ सलाहाकार भारत भूषण, महिला अध्यक्ष रीता शर्मा, हमीरपुर के अध्यक्ष संजय कुमार, बिलासपुर के अध्यक्ष सुमन, चंबा के अध्यक्ष जोगिद्र पठानिया, महासचिव राजेश शर्मा ने शिक्षा विभाग में अनुबंध समय को पदोन्नति की वरिष्ठता के लिए मान्य करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अनुबंध समय के तहत किसी को पौने सात साल तो किसी को तीन साल बाद नियमित किया गया है। इससे पदोन्नति में असमानता आई है। डेढ़ वर्ष पहले हाईकोर्ट ने फैसला देकर 22 अक्टूबर 2009 से पहले विज्ञापित भर्तियों को नियुक्ति तिथि से नियमित करने के आदेश दिए थे लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को न मानकर शिक्षकों का हक छीना है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जल्द हाईकोर्ट के फैसले को नवंबर 2008 और 22 अक्टूबर 2009 के बीच की विज्ञापित भर्तियों पर लागू किया जाए। साथ ही सभी शिक्षकों को उनके अनुबंध समय से वरिष्ठता लाभ दिए जाएं।