हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग लम्बे समय से अपनी यू-टर्न अधिसूचनाा के लिए चर्चा में रहा है और इस बार सत्ता परिवर्तन के साथ व्यवस्था परिवर्तन की दुहाई देने वाली वर्तमान सरकार में भी स्थिति कोई खास नही बदली।
बल्कि ताजा आदेश के मध्यनजर यदि यह भी कहा जाय कि हालात ओर बिगड़ गए तो शायद अतिशयोक्ति नही होगी। दरअसल बडे जोर शोर व दम खम के साथ अपने जुगाड़ के दम पर विभिन्न पाठशालाओ से अपनी सुविधाजनक स्थानो पर प्रतिनियुक्ति करवाने वाले प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवम शारीरिक शिक्षको की प्रतिनियुक्ति को 24 जून को न्यायालय के CWP 6661/2021 का हवाला दे कर रद्द कीया गया था। परंतू आश्चर्य यह हे कि मात्र एक सप्ताह के भीतर ही अधिकतर रद्द प्रतिनियुक्तियो को पुन बहाल कर दिया गया है। अब सोचने वाला विषय यह है कि क्या प्रतिनियुक्ति को रद्द करने का निर्णय न्यायालय की आंख मे धूल झोंकने के लिए किया गया था अथवा इन चुनिंदा प्रधानाचार्य एवम शिक्षको की प्रशासनिक व राजनैतिक पकड़ माननीय न्यायालय के आदेश पर भी भारी पढ रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन प्रतिनियुक्ति की बहाली के बाद अब अन्य शिक्षक भी अपनी प्रतिनियुक्ति की पुनः बहाली का जुगाड़ भुनाने मे लग गए हैं एवं कुछ अन्य न्यायालय में चुनौती देने के मूड में भी नजर आ रहे हैं ।
शिक्षा विभाग के इस निर्णय से अधिकतर शिक्षक संगठन भी सहमत नहीं है उनका मानना है कि सभी को एक समान व्यवहार ही होना चाहिए था।
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ये भी हैरान कर देने वाला
गौरतलब है कि आज जारी हुए एक आदेश मे एक ही विद्यालय के लिए विभिन्न जिलो एवं विद्यालयों से 7 प्रवक्ताओ की प्रतिनियुक्ति की बहाली की गई है। प्रश्न यह भी है कि यदि विद्यार्थियो की संख्या के मध्यनजर ऐसे संस्थानो मे शिक्षको की नितांत आवश्यकता थी तो विभाग प्रतिनियुक्ति के जुगाड़ से काम क्यो चला रहा है यहा स्थाई नियुक्ति क्यो नही की गई। इस विषय पर असर न्यूज ने उच्च शिक्षा निदेशक से सम्पर्क करने का प्रयास किया परंतू उनसे जवाब नही मिल पाया।