हिमाचल से केरल जाने वाले 240 अध्यापकों का शैक्षणिक टूअर विवादों के घेरे में आने के कारण रोक दिया गया है। कथित आरोप यह है कि केरल भेजे जाने वाले इन शिक्षकों में कुछ एक को भाई-भतीजावाद के चलते जहां स्थान मिल गया था, वहीं कोविड काल में बेहतरीन कार्य करने वाले व राज्य पुरस्कार से सम्मानित पात्र अध्यापकों को इस नौ
दिवसीय भ्रमण से वंचित कर दिया गया। अब प्रदेश में सी एंड वी अध्यापक संघ सहित अन्य कई शिक्षक संगठनों द्वारा आपत्तियां दर्ज करवाए जाने के बाद समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय ने ऐन वक्त पर इस शैक्षणिक भ्रमण को आगामी आदेशों तक स्थगित कर दिया है। सूत्रों के अनुसार संबंधित विभाग तुरत-फुरत में सूचियां न बनाकर अब पुन: फील्ड रिपोर्ट तैयार करके इस टूअर का सही खाका तैयार करने में जुट गया है। सनद रहे कि संस्कृति व परंपराओं का आदान-प्रदान करने के लिए वर्ष 2020 में केरल राज्य व हिमाचल प्रदेश में एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत एक समझौता हुआ था। यह आपसी समन्वय ‘एक भारत-सर्वश्रेष्ठ भारत’ के तहत लैगशिप कार्यक्रम के तहत किया जाना है।विभाग ने इस भ्रमण के लिए जो प्रारूप तैयार किया, उसके तहत कुल 240 अध्यापकों में से 80 अध्यापक जनजातीय जिलों, 80 टीचर उत्कृष्ट विद्यालयों, 80 शिक्षक स्कूलों में अच्छा परिणाम देने वालों का चयन करके उन्हें अपने-अपने संबंधित स्कूलों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के निर्देश जारी कर दिए गए। जैसे ही यह सूची प्रत्येक जिला स्तर पर पहुंची, पूरे प्रदेश में बवाल मच गया। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इस चयन पर सवालिया निशान लगाते हुए इस पर पुनर्विचार की मांग की। सी एंड वी अध्यापक संघ के प्रदेश महासचिव देव दत्त शर्मा ने कहा कि इस भ्रमण का मुख्य उद्देश्य दोनों राज्यों की संस्कृति व परंपराओं का आदान-प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि इस फील्ड में जो शिक्षक राज्य पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं, उनका भी सूची में नाम शामिल नहीं है। (एचडीएम)
अध्यापक संगठनों के प्रस्तावों-सुझावों पर अवलोकन
समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि इस टूअर को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। विभिन्न अध्यापक संघों से मिले प्रस्तावों व अन्य सुझावों के दृष्टिगत इसका पुन: अवलोकन किया जा रहा है।